प्रतापगढ़। जिले में जिला कृषि अधिकारी अशोक कुमार ने बुधवार को बताया है कि मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार, आने वाले दिनों में न्यूनतम तापमान में गिरावट एवं कोहरे की संभावना व्यक्त की गई है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव गेहूं, सरसों, मटर, आलू, चना सहित अन्य रबी फसलों पर पड़ सकता है। अत्यधिक ठंड एवं पाला पड़ने से फसलों की वृद्धि रुक सकती है, पत्तियां पीली पड़ सकती हैं एवं उत्पादन पर विपरीत असर पड़ सकता है। उन्होने किसान भाईयो को सलाह एवं बचाव के उपाय के सम्बन्ध में बताया है कि यदि फसल खेत में हो और पाला पड़ने की संभावना हो, तो हल्की सिंचाई करें। इससे खेत का तापमान संतुलित रहता है और ठंड का प्रभाव कम होता है। खेत में फसल अवशेषों की पलवार बिछा सकते हैं। इससे मिट्टी का तापमान और नमी बनी रहती है। फसल में पोटाश युक्त उर्वरकों के प्रयोग से पाला सहनशीलता बढ़ाई जा सकती है। फॉस्फोरस व पोटाश का संतुलित उपयोग लाभदायक रहता है, ठंड के प्रभाव को कम करने हेतु 0.1 प्रतिशत सल्फर या अनुशंसित सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव लाभकारी रहता है। ठंड के प्रकोप से फसलों में कुछ रोगों (जैसे-पाउडरी मिल्ड्यू) का प्रसार हो सकता है। निर्धारित मात्रा में उचित फफूंदनाशक का छिड़काव समय रहते करें। हरी खादध्कम्पोस्ट के उपयोग से खेत में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ाने से मिट्टी का स्वास्थ्य और ताप संतुलन बेहतर रहता है। मौसम पूर्वानुमान पर नजर रखें और आवश्यकता अनुसार तुरंत उपाय करें।
उन्होने किसान भाईयों से अपील करते हुये कहा है कि वे मौसम की नवीनतम जानकारी के लिए सतर्क रहें तथा फसल सुरक्षा के लिए उपरोक्त उपायों को अमल में लाएं। किसी भी प्रकार की तकनीकी सलाह या सहायता के लिए निकटवर्ती कृषि विज्ञान केंद्र, ब्लॉक तहसील कृषि अधिकारी या जिला कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।
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