लखनऊ। सर्वाजनिक अवकाश के कारण मंगलवार को सरकारी अस्पतालों में हाफ-डे ओपीडी थी यानी दोपहर 12 बजे तक इलाज मिलना था, इसलिए बड़ी संख्या में मरीज अस्पताल जल्दी पहुंचे लेकिन ठाकुरगंज स्थित टीबी अस्पताल में कई मरीज काउंटर से दवा लेने के कुछ देर बाद वापस करने आये। उनका कहना था कि सीलन भरी दवा खाने योग्य नहीं है। रैप से निकलते ही दवा पाउडर की तरह से गोली बिखर जाती है। बाबा हजाराबाग के हरि गोविन्द ने बताया कि सिप्रोफ्लॉक्सिन और डायक्लोफेनिक दोनों दवा रैपर में पाउंडर की दवा भरी थी। दवा की गुणवत्ता पर भरोसा नहीं रह गया। इसी प्रकार दवा की शिकायत करते हुए मरीजों ने दवा वापस की और बाहर मेडिकल स्टोर से खरीदने की बात कहकर चले गये। बताया जाता है कि करीब सात तरह की दवाओं में दिक्कत है।
मेडिकल कॉर्पोरेशन के माध्यम से सरकारी अस्पतालों में भेजी गई एंटीबायोटिक दवा सिप्रोफ्लॉक्सिन 500 मिग्रा की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। मरीजों का कहना है कि दवा का रैपर खोलते ही टैबलेट टूटकर चूरन की तरह बिखर जा रही है। दवा में नमी की शिकायत मिलने पर अफसरों ने जांच के आदेश दिए हैं। यदि दवा में नमी की पुष्टि होती है तो पूरी खेप वापस कर नई दवा मंगाई जाएगी। अस्पतालों में आपूर्ति की गई यह दवा अगस्त 2027 तक इसे वैध बताया गया है। डॉक्टर मरीजों को यह दवा लिख रहे हैं, लेकिन मरीज इसे लेने से हिचक रहे हैं। बीपी की दवा टेल्मीसार्टन 40 मिग्रा, अमलोडिपिन और कैल्शियम की गोलियों में नमी देखने को मिल रही है। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एसपी सिंह ने बताया कि जिन दवाओं में सीलन की दिक्कत हैं, उन्हें वापस कराने के लिए कम्पिनयों को सूचना दी गयी है। जल्द ही नयी दवाओं का वितरण शुरू कर दिया जाएगा।
