लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नए दरोगाओं को चैकी इंचार्ज बनाए जाने से आम जनता में रोष फैल गया है। कई जगहों पर बिना अनुभव वाले उपनिरीक्षकों को चैकी का चार्ज सौंप दिया गया है, जिससे जनता को न्याय मिलने के बजाय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के अनुसार, कुछ दरोगा केवल पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों की चापलूसी कर चार्ज हासिल कर रहे हैं, जबकि उन्हें जनता से संवाद और व्यवहार की बुनियादी समझ तक नहीं है। वर्दी का घमण्ड इन पर इस कदर सवार है कि पीड़ित की बात सुनना इन्हें जरूरी नहीं लगता।
समाजसेवियों, पत्रकारों और आम नागरिकों का कहना है कि नए दरोगाओं को यह तक नहीं मालूम कि किससे कैसे बात करनी चाहिए और कब सम्मान देना है। कई चैकियों पर जनसुनवाई के नाम पर उपेक्षा, अपमान और देरी का माहौल बना हुआ है। इससे आम जनमानस में पुलिस की छवि लगातार खराब होती जा रही है।
समाजसेवियों और नागरिक संगठनों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डीजीपी से मांग की है कि चैकी का चार्ज केवल उन्हीं दरोगाओं को दिया जाए जिनके पास कम से कम 5 वर्ष का फील्ड अनुभव हो। साथ ही यह भी कहा गया है कि दीवान से दरोगा बने पुलिसकर्मियों को प्राथमिकता दी जाए क्योंकि उन्हें जनता के साथ काम करने और कानून व्यवस्था संभालने का बेहतर अनुभव होता है।
जनता चाहती है कि चैकी प्रभारी ऐसा अधिकारी हो जो कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ जनता की समस्याओं को संवेदनशीलता से सुने और समाधान करे।
यदि हालात ऐसे ही रहे तो पुलिस की भूमिका और छवि पर गहरा असर पड़ेगा, जिससे जनता का विश्वास डगमगा सकता है।
समाजसेवियों ने मुख्यमंत्री और डीजीपी से तत्काल संज्ञान लेने की अपील की है, ताकि पुलिस की साख और जनता का भरोसा दोनों बरकरार रह सके।
