रुद्रपुर। जिला पंचायत चुनावों में इस बार कई सीटें हॉट बनी रहीं, लेकिन सबसे अधिक सियासी तापमान भंगा सीट पर देखने को मिला वर्षों से गंगवार परिवार की प्रभावशाली उपस्थिति वाली इस सीट पर विरोधियों ने इस बार पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन भाजपा नेता सुरेश गंगवार के रणनीतिक कौशल के आगे विरोधियों की सारी चालें बेअसर साबित हुईं महिला आरक्षित सीट पर निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष रेनू गंगवार ने एक बार फिर अपने प्रतिद्वंद्वियों को शिकस्त देकर साबित कर दिया कि भंगा में गंगवार परिवार की जड़ें अभी भी मजबूत हैं। रेनू गंगवार की इस निर्णायक जीत ने जहां एक ओर गंगवार परिवार की सियासी विरासत को और मजबूती दी है, वहीं दूसरी ओर उन्हें आगामी जिला पंचायत अध्यक्ष पद का सबसे मजबूत दावेदार बना दिया है।
भंगा सीट पर इस बार मुकाबला सिर्फ राजनीतिक दलों का नहीं, बल्कि एक ही समाज कुर्मी बिरादरी के दो चेहरों के बीच था भाजपा के वरिष्ठ नेता सुरेश गंगवार की पत्नी और निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष रेनू गंगवार के सामने खड़ी थीं हाईकोर्ट की अधिवक्ता शिवांगी गंगवार जिन्हें कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा का समर्थन प्राप्त था। तीसरी प्रत्याशी कांग्रेस समर्थित बुशरा मलिक थीं, जिनका क्षेत्र में मुस्लिम और महिला वोटरों पर खासा प्रभाव माना जा रहा था इस बार भंगा सीट पर भाजपा ने आधिकारिक तौर पर किसी को पार्टी प्रत्याशी घोषित नहीं किया, क्योंकि सुरेश गंगवार जहां अपनी पत्नी को समर्थन दिलाने की कोशिश में जुटे थे, वहीं सौरभ बहुगुणा शिवांगी गंगवार के पक्ष में सक्रिय थे अंततः पार्टी नेतृत्व ने दोनों में से किसी को टिकट न देकर तटस्थ रहने का निर्णय लिया, लेकिन ग्राउंड लेवल पर यह तटस्थता जल्द ही समाप्त होती दिखी चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में स्वयं सौरभ बहुगुणा शिवांगी के पक्ष में सभाएं करते नजर आए।
विपरीत परिस्थितियों और भाजपा की स्पष्ट घोषणा के बिना भी रेनू गंगवार के पक्ष में माहौल बनता गया इसके पीछे सबसे बड़ा कारण रहा सुरेश गंगवार का मजबूत जमीनी नेटवर्क और वर्षों की जनसेवा से जुड़ा भरोसा प्रचार अभियान के दौरान रेनू गंगवार के समर्थन में हरियाणा की चर्चित कलाकार सपना चैधरी के रोड शो ने भी माहौल में उत्साह भर दिया गंगवार परिवार की पकड़ और क्षेत्र में विकास के आधार पर रेनू गंगवार सब पर भारी पड़ीं चुनाव प्रचार के दौरान सुरेश गंगवार और उनके परिवार को लेकर कई व्यक्तिगत और गंभीर आरोप भी लगाए गए, लेकिन उनके वर्षों की जनसेवा और जमीनी पकड़ ने विरोधियों के हर प्रयास को विफल कर दिया आरोप प्रत्यारोपों के बीच सुरेश गंगवार ने संयम और समझदारी से रणनीति बनाकर विरोधियों के हर वार को बेअसर किया सोशल इंजीनियरिंग, बूथ प्रबंधन और गांव-स्तरीय प्रचार में उनका अनुभव निर्णायक साबित हुआ परिणामस्वरूप, रेनू गंगवार ने शानदार जीत दर्ज की, जबकि बुशरा मलिक दूसरे और शिवांगी गंगवार तीसरे स्थान पर रहीं।
रेनू गंगवार की जीत केवल वर्तमान रणनीति का परिणाम नहीं बल्कि गंगवार परिवार की वर्षों की सेवा, विकास कार्यों और जनता से आत्मीय जुड़ाव की स्वाभाविक परिणति है। इस परिवार का पंचायत राजनीति में करीब पांच दशकों से वर्चस्व रहा है। रेनू गंगवार के ससुर ईश्वर प्रसाद गंगवार ने 1983 में ग्राम प्रधान के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी इसके बाद 2003 में उनकी पत्नी स्व. सुशीला गंगवार ने जिला पंचायत अध्यक्ष बनकर नई मिसाल कायम की फिर 2014 में ईश्वर प्रसाद स्वयं अध्यक्ष बने रेनू गंगवार ने 2019 में चुनाव जीतकर जिला पंचायत अध्यक्ष की बागडोर संभाली और पांच वर्षों तक सशक्त नेतृत्व प्रदान किया इस विरासत को रेनू गंगवार आगे बढ़ा रही हैं। इस लंबे इतिहास ने मतदाताओं में गंगवार परिवार के प्रति भरोसे की एक मजबूत नींव तैयार की है, जिससे इस चुनाव में गंगवार परिवार को पुनः समर्थन मिला कुल मिलाकर गंगवार परिवार ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब बात जमीनी पकड़, जनसेवा और राजनीतिक रणनीति की आती है तो वे विरोधियों से कई कदम आगे रहते हैं। रेनू गंगवार की यह जीत केवल एक सीट की जीत नहीं, बल्कि पूरे जिले में उनके नेतृत्व और परिवार की साख पर जनता की मुहर है। आने वाले दिनों में उनकी जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर पुनः ताजपोशी भी तय मानी जा रही है।
रेनू गंगवार की जीत के साथ ही अब जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है। पहले इस पद के लिए कुरैया से प्रत्याशी रहीं कोमल चैधरी का नाम भी आगे आ रहा था, जिन्हें विधायक शिव अरोरा, मेयर विकास शर्मा और पूर्व विधायक राजेश शुक्ला जैसे नेताओं का समर्थन प्राप्त था लेकिन कोमल चैधरी सीट हार गईं, जिससे अब अध्यक्ष पद की दौड़ में रेनू गंगवार सबसे मजबूत दावेदार के रूप में उभर कर सामने आई हैं। भाजपा मे अंदरखाने अब उनके नाम पर गंभीरता से विचार शुरू हो चुका है।