किसी भी सरकारी या प्राइवेट सेक्टर में भी नौकरी के लिए अनिवार्य पुलिस वेरिफिकेशन मुकदमा बन रहा मुसीबत।
सोनभद्र। पहले सिर्फ सरकारी नौकरियों में ही चरित्र प्रमाण पत्र की जरूरत होती थी लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा प्राइवेट सेक्टर में भी चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन की शुरुआत कर दिया गया है। विभिन्न कंपनियों के द्वारा कार्यरत लोगों व नौकरी में प्रवेश हेतु पुलिस वेरिफिकेशन करवाया जा रहा है।जिन शहरों में मजदूर और ग्रामीण नौकरी के लिए जाते हैं वहां भी मकान मालिक उनका पुलिस वेरिफिकेशन करवाते हैं।सरकारी या प्राइवेट किसी भी जगह नौकरी करने के लिए शैक्षिक योग्यता की तरह अब चरित्र प्रमाण पत्र की अनिवार्यता कर दिया गया है। परंतु उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा वर्तमान समय में शासनादेश के अनुसार किसी भी ऐसे व्यक्ति का चरित्र प्रमाण पत्र नहीं जारी करती जिस व्यक्ति के खिलाफ पूरे प्रदेश में किसी भी थाने में कोई भी मुकदमा दर्ज होता है थाना में सीसीटीएनएस के द्वारा संबंधित व्यक्ति का वेरिफिकेशन किया जाता है जिसकी वजह से लोगों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है और निराशा हाथ लगती है।मुकदमा दर्ज होने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति नौकरी के लिए अयोग्य माना जाता है और वह कही भी नौकरी नहीं कर पाते जिसकी वजह से कही न कही गलत रास्ते पर जाने के लिए मजबूर या किसी गलत व्यक्ति के चंगुल में आकर गलत काम करने के लिए मजबूर हो जाते है।सामाजिक कार्यकर्ता राकेश केशरी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व डीजीपी यूपी को मांग पत्र के माध्यम से जनहित की आवाज उठाते हुए आग्रह व निवेदन किया है कि थाना स्तर से मुकदमा दर्ज रहने पर जब तक न्यायालय दोषसिद्ध न कर देवे तब तक मुकदमा अपराध का विवरण अंकित करते हुए आवेदन होने वाले चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने पर विचार किया जाना व जनहित व समाजहित में किया जाना न्याय संगत होगा ।चरित्र प्रमाण पत्र/पुलिस वेरिफिकेशन नक्सल इलाके में बदलाव ला सकता है। आपराधिक गतिविधि से दूर होने का प्रयास करेंगे। पुलिस व सरकार का आपराधिक गतिविधि/ नक्सल इलाकों में ग्रामीणों को मुख्यधारा में जोड़े रखना सदैव एक बड़ी चुनौती रही है। इस चुनौती से निपटने में चरित्र प्रमाण पत्र एवं पुलिस वेरिफिकेशन कारगर साबित हो सकता हैं।