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लोक मोर्चा के 18 कार्यक्रमों से यूपी की सियासत में खलबली! स्वामी प्रसाद मौर्य ने जन सेवा दल सहित 12 जून को बनाया था नौ दलों का लोक मोर्चा


लखनऊ। 12 जून को लखनऊ के होटल दयाल पैराडाइज में स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा जन सेवा दल सहित नौ पार्टियों को साथ लेकर बनाए गए लोक मोर्चा को मीडिया द्वारा बड़ा कवरेज मिलने के बावजूद भले ही उस समय उत्तर प्रदेश के सियासी दलों ने हल्के में लिया हो लेकिन बीते दो माह से लोक मोर्चा द्वारा आयोजित 18 कार्यक्रमों ने न सिर्फ सत्ता बल्कि विपक्षी पार्टी सपा बसपा की भी नींद उड़ा दी हैं। जिसकी चर्चा उत्तर प्रदेश के साथ साथ सभी राज्यों में पांव पसार रही हैं।






बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के चर्चित ओबीसी नेता पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में विधान केसरी के संपादक विनेश ठाकुर जो नवगठित दल जन सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ने पूर्व आईएएस तपेंद्र कुशवाहा, आईपीएस बीपी अशोक, पूर्व सांसद राजकुमार सैनी, राष्ट्रीय समानता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोतीलाल शास्त्री, सबका दल यूनाइटेड अध्यक्ष प्रमोद लोधी, स्वतंत्र जनता राज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष घनश्याम कोरी, लोकहित समाज पार्टी के अध्यक्ष सत्यनारायण मौर्य, पॉलिटिकल जस्टिस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश सिद्धार्थ को साथ लेकर लोक मोर्चा का गठन कर समस्त वंचित जातियों को जनसंख्या अनुपात  के हिसाब से सत्ता में म ले जाने  की घोषणा की थी। जिसने 12 जून को न सिर्फ मीडिया बल्कि सपा बसपा भाजपा कांग्रेस सहित सभी राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय पार्टियों  में खलबली मचा दी थी ,लोक मोर्चा की स्थापना के दिन पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद ने खुले शब्दों में कहा था की यूं तो सभी दल पिछड़ों की तरफदारी का दावा करके सत्ता में पहुंचे लेकिन सत्ता में पहुंचते ही वंचितों के अधिकारों का हनन करने का काम किया जिस कारण मैंने आठ दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष को जोड़कर लोक मोर्चा बनाया है। 2027 के चुनाव में प्रत्येक वंचित जाति को जनसंख्या अनुपात  में हिस्सेदारी देना मेरी प्राथमिकता होगी जिस कारण लोक मोर्चा ने उत्तर-प्रदेश के सभी मंडलों की मंडल स्तरीय कार्यकर्ता गोष्ठी का आयोजन करने की शुरुआत की और 18 मंडलों का आज 25 अगस्त को बस्ती में आखरी कार्यक्रम हो रहा है। यदि सियासत के गलियारों की मानें तो अति पिछड़ों  दलितों तथा पसमांदा वर्ग में लोक मोर्चा के प्रति उमड़े विश्वास व कार्यक्रमों की सफलता को देखकर उत्तर प्रदेश की प्रमुख पार्टियों ने अपनी अपनी पार्टी के सूत्रों की  सूचना पर उन्हें  सोचने को मजबूर कर दिया है। 





लोक मोर्चा के गठन और उसकी नीति जहां अखिलेश यादव के पीडीए की परेशानी का सबब बन सकती है वहीं अति पिछड़ों में सत्ता के प्रति आई जागरूकता एवं लोक मोर्चा की योजना  सत्ताधारी दल को भी सत्ता के रास्ते में रोढा बनने का एहसास होने लगा है। जानकारों की मानें तो लोक मोर्चा में शामिल आठ दस माह पहले तैयार हुआ जन सेवा दल जहां उत्तर प्रदेश में तेजी से पर पसारने वाला सबसे कम उम्र का दल बन गया है। वहीं कई वरिष्ठ ओबीसी और रिटायर आईएएस आईपीएस नेताओं में अचानक आई सक्रियता ने बड़े-बड़े नेताओं को हैरानी में डाल दिया है जिस कारण कभी गठबंधन में भरोसा न करने वाली बसपा सहित  दलित पिछड़ों को गुमराह कर सत्ता हासिल करने वाले सियासी दलों की नींद उड़ा दी है अब देखना है कि भाजपा किसी ओबीसी को मुख्यमंत्री बनाती है या प्रदेश अध्यक्ष अथवा राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी देती है अथवा अखिलेश यादव जनसंख्या अनुपात में टिकट बांटते हैं या बसपा गलतफहमी से निकलकर लोक मोर्चा के साथ सीटों का बंटवारा करती है  यह तो सभी पार्टियों के मुखिया जाने फिलहाल सियासी हलकों में लोक मोर्चा ने जहां खलबली मचा दी है वही वंचित जातियों के भरोसे में विस्तार हुआ है। और वंचित जातियों को लगने लगा है कि अब आजादी के बाद से अब तक तमाम दलों द्वारा अपनाया गया जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी का फार्मूला लोक मोर्चा की देखरेख में पूरा होकर रहेगा। कुल मिलाकर लोक मोर्चा सत्ता में आने का सपना देखने वालों के गले की फांस बनने लगा है वहीं पूर्व मंत्री एवं लोक मोर्चा के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है कोई क्या कहता या करता है यह तो झूठ बोल सत्ता प्राप्त करने वाले जाने लेकिन लोक मोर्चा ने सभी को जन संख्या अनुपात में हिस्सेदारी दिलाने की शपथ ली है।

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