खालिस्तानी एजेंडे को बड़ा झटका! कनाडा चुनाव में जगमीत सिंह को मिली करारी हार
April 29, 2025
कनाडा में हुए आम चुनाव 2025 के नतीजों ने न सिर्फ राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं, बल्कि खालिस्तानी एजेंडे को भी तगड़ा झटका दिया है. हमेशा से खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू का समर्थन करने वाले जगमीत सिंह को इस चुनाव में बुरी तरह पराजय का सामना करना पड़ा है. उन्होंने चुनाव में अपनी हार स्वीकार करते हुए संसद सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया. इसके साथ ही उनकी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) भी करारी शिकस्त के बाद संकट में आ गई है.
NDP को इस चुनाव में इतनी कम सीटें मिलीं कि पार्टी अब राष्ट्रीय दल का दर्जा भी खो सकती है. कनाडा में राष्ट्रीय दर्जा बनाए रखने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम 12 सीटों पर जीत हासिल करनी होती है, लेकिन NDP इसमें विफल रही. यह वही पार्टी है, जिसे कभी खुद जगमीत सिंह “किंगमेकर” के रूप में पेश करते थे.
इस बार खुद जगमीत सिंह भी अपनी सीट नहीं बचा सके. वे ब्रिटिश कोलंबिया की बर्नेबी सेंट्रल सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे, जहां उन्हें लिबरल पार्टी के उम्मीदवार वेड चांग से करारी शिकस्त मिली. जगमीत सिंह को केवल 27.3% वोट मिले, जबकि विजेता को 40% से अधिक मत प्राप्त हुए. नतीजों ने यह भी साफ कर दिया कि वे अपने संसदीय क्षेत्र में तीसरे नंबर पर रहे, जो उनके राजनीतिक करियर के लिए एक गंभीर झटका है. हार के तुरंत बाद मीडिया से बातचीत में जगमीत सिंह ने कहा कि वह परिणामों से निराश हैं, लेकिन अपने आंदोलन को लेकर आशावादी हैं. उन्होंने कहा, “हम ज़्यादा सीटें जीत सकते थे, लेकिन मुझे भरोसा है कि भविष्य में हमारी पार्टी फिर से उठेगी.
जगमीत सिंह की हार के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को भी चुनाव में करारी पराजय झेलनी पड़ी है. हालांकि, लिबरल गठबंधन के दूसरे चेहरे मार्क कार्नी की अगुवाई में पार्टी को जोरदार सफलता मिली है. परिणामों से यह स्पष्ट हो गया है कि कनाडा की सत्ता अब मार्क कार्नी के हाथों में रहेगी और वे अगले प्रधानमंत्री बनेंगे.
कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के शुरुआती रुझानों ने यह संकेत पहले ही दे दिया था कि लिबरल पार्टी बहुमत के करीब है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से कनाडा को बार-बार "अमेरिका का 51वां राज्य" कहे जाने और ट्रूडो को गवर्नर के रूप में संबोधित किए जाने ने कनाडा की आम जनता के बीच राष्ट्रीय अस्मिता की भावना को झकझोर दिया. इसने लिबरल पार्टी के लिए नया जन समर्थन जुटाने में मदद की.
चुनाव विशेषज्ञों के मुताबिक, शुरुआती दौर में माहौल लिबरल पार्टी के पक्ष में नहीं था, लेकिन ट्रंप के बयान और अमेरिका-कनाडा व्यापार युद्ध जैसे मुद्दों ने चुनावी हवा पलट दी. कनाडा के नागरिकों को यह महसूस हुआ कि ट्रूडो अब प्रभावशाली नेता नहीं रहे और यही वजह रही कि लिबरल पार्टी के नए चेहरे कार्नी को भारी समर्थन मिला.