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भारत छोड़कर नहीं जा रहे पाकिस्तानी! जम्मू कश्मीर से हिरासत में लिए गए 50


पहलगाम आतंकी हमले में 26 नागरिकों की जान जाने के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सरकार के देश छोड़ने के आदेशों की अवहेलना करने के आरोप में घाटी के विभिन्न जिलों में दर्जनों पाकिस्तानी नागरिकों को हिरासत में लिया है. इनमें ज्यादातर महिलाएं हैं.

उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि देश छोड़कर जाने के आदेशों की अवहेलना करने वाले कम से कम 34 विदेशी नागरिकों को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने नोटिस भेजा है. ये लोग शॉर्ट टर्म वीजा पर जम्मू-कश्मीर आए हैं और इनमें लॉन्ग टर्म वीजा धारक शामिल नहीं हैं, जिनकी संख्या लगभग 80 है. जिन लोगों को नोटिस भेजा गया है, उनमें 12 पाकिस्तानी हिंदू हैं जो अपने परिवारों से मिलने आए थे, जिनमें से ज्यादातर जम्मू क्षेत्र में हैं.

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कम से कम 50 लोगों को हिरासत में लिया है, जिनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से आई थीं. कई सालों से घाटी में रह रही थीं और उनके बच्चे यहीं पैदा हुए हैं. साल 2010 की "आतंकवादी पुनर्वास नीति" के दौरान अपने कश्मीरी पतियों के साथ जम्मू-कश्मीर में आए ऐसे व्यक्तियों की कुल संख्या लगभग 300 है. उन्होंने बताया कि हिरासत में लिए गए सभी व्यक्तियों को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), सीआईडी विशेष शाखा (एसबी) कश्मीर द्वारा भारत छोड़ने के लिए पहले ही नोटिस दिया जा चुका है, जो कश्मीर में विदेशी पंजीकरण अधिकारी (एफआरओ) का प्रभार भी संभालते हैं.

एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई भारत सरकार, गृह मंत्रालय (विदेशी-I प्रभाग) द्वारा जारी आदेश संख्या 25022/28/2025-एफ दिनांक 25 अप्रैल, 2025 के अनुपालन में की जा रही है. उन्होंने बताया कि आदेश में निर्देश दिया गया था कि भारत में अवैध रूप से रह रहे सभी विदेशी नागरिक (पाकिस्तानी) 27 अप्रैल, 2025 तक या उससे पहले देश छोड़ दें.

नोटिस और समय सीमा समाप्त होने के बावजूद, कई पाकिस्तानी नागरिक कश्मीर में रह रहे हैं. इस चूक पर कार्रवाई करते हुए, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सरकारी आदेश का पालन करने में विफल रहने वाले सभी लोगों को हिरासत में लेने के लिए एक समन्वित अभियान शुरू कर दिया है. सूत्रों ने कहा कि हिरासत में लिए गए पाकिस्तानी नागरिकों को वाघा सीमा तक पहुंचने में मदद की जाएगी, जहां उन्हें आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा.

इस कदम से संबंधित परिवारों में चिंता पैदा हो गई हैं, खासकर इसलिए क्योंकि कई महिलाएं सालों से कश्मीर में रह रही हैं और उनके पारिवारिक संबंध हैं. अभी तक हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक सार्वजनिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों ने पुष्टि की है कि तैयारियां चल रही हैं और वरिष्ठ प्रशासनिक स्तरों पर इसे संभाला जा रहा है.

सरकार ने कहा था कि कोई भी पाकिस्तानी, जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा के अनुसार भारत छोड़ने में विफल रहता है, उसे गिरफ्तार किया जाएगा, मुकदमा चलाया जाएगा और उसे तीन साल तक की जेल या अधिकतम 3 लाख रुपये का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है. इस बीच, 2010 की नीति के तहत पुनर्वासित पूर्व कश्मीरी आतंकवादियों की पाकिस्तानी पत्नियों ने भारत के नवीनतम वीजा प्रतिबंधों पर गहरी पीड़ा व्यक्त की है, उन्होंने कहा कि वे निर्वासित होने के बजाय मरना पसंद करेंगी.

ये महिलाएं, जो अपने पतियों के साथ कश्मीर पहुंची थीं, जिन्होंने आतंकवाद छोड़ दिया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पुनर्वास नीति के तहत मुख्यधारा में शामिल हो गए थे. उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें जिंदा पाकिस्तान लौटने के लिए मजबूर करने के बजाय शवों के बैग में वापस भेज सकती है.

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