बीसलपुर: ईश्वर की निस्वार्थ भक्ति से मिलेगा मोक्ष- संत एके अवस्थी
April 19, 2025
बीसलपुर। जलालपुर में आयोजित हुए आध्यात्मिक सत्संग एवं राम कथा में श्रद्धालुओं ने बुराइयां छोड़ने का संकल्प लिया।
सत्संग में बोलते हुऐ अध्यात्मिक संत एके अवस्थी महाराज ने कहा कि परमात्मा की निस्वार्थ भक्ति से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है। हमारा शरीर प्रकृति से बना है और हमारा शरीर बृहमाण्ड है मनुष्य ही बृहमाण्ड है उसके अन्दर बृहमाण्ड की शक्तियां हैं। जो अपने अंदर बृहमाण्ड को देख सकता है। स्वामी विवेकानंद जी ने भी कहा था मानव बृहमाण्ड है उसके अंदर ही बृहमाण्ड है। शिवमहांपुराण उमासंहिंता में भोलेनाथ कहते हैं मनुष्य अपने अंदर ध्यान साधना के द्वारा उस परम प्रकाश को अपने अंदर देख सकता है जो सूर्य की तरह भी दिखाई देगा और सफेद भी दिखाई देगा और तारे भी दिखाई देगें। अवस्थी जी महाराज ने कहा इससे साफ हो गया है हमारे संतो ने जो कहा वह सच है। यह मैं अपना अनुभव भी कहता हूँ। ध्यान साधना मनन कीर्तन भजन के माध्यम से भगवान को हम पा सकते हैं। परंतु इसके लिए बैैराग और हृदय में ईश्वर के प्रति पुकार होनी चाहिए। शरीर हमारा अस्वस्थ तब होता है जब हमें मस्तिष्क में चिंता का भाव उत्पन्न होता है। यह शरीर प्रकृति से जुडा हुआ है जो थोडा भी कष्ट पडने पर मुरझाने लगता है। जैसे फूल हल्के वातावरण में उथल पुथल से मुरझा जाता है। इसी तरह प्रथ्वी पर हम सब फूल हैं जो अपने तरीके से खिल रहे हैं। मानव को शक्ति ध्यान साधना मनन कीर्तन भजन से प्राप्त होती है। यदि हम अच्छे विचारों के साथ साधारण में खान पान के साथ रहें तो हमारा जीवन स्वस्थ और सुख को प्राप्त करेगा। हम अपने उन विचारों के साथ चलें दाता इतना दीजियो जामे कुटुंम्भ समाए तू भी भूखा न रहे साधू भी भूखा न जाए। जब हम इन विचारों के साथ रहेंगे चलेंगे तभी हम जीवन का आनंद ले सकते हैं। अधिक सम्पत्ति बटोरने के लालच में हम उस मुल्यवान बातों से दूर हो जाते हैं जिसके लिये हम धरती पर आये थे। भगवान से भी काफी दूर हो जाते हैं। इसलिए मेरा सभी से अनुरोध है मानव तन में भगवान को जानने के लिए एक छोटा सा रिसर्च जरूरी है। इस शुभ अवसर पर उपस्थित एडवोकेट प्रमोद पाराशर, संजय पाराशर, ज्ञानेश पाराशर, ज्ञानी वर्मा, संतोष पारशर, परसाद आरती के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ।