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बलियाः साहब! रउरा दिक्कत ना होखे त बैलगाड़ी पर बैठीं, हम खूब आराम से गांव पहुंचा देब! समाजवाद के पुरोधा व सम्पूर्ण क्रांति के अग्रज रहे लोकनायक जयप्रकाश नारायण से जुड़ी कहानी


बलिया/बैरिया। जिले के पूर्वी छोर पर स्थित  समाजवाद के पुरोधा व सम्पूर्ण क्रांति के अग्रज रहे लोकनायक जयप्रकाश नारायण का पैतृक गांव जयप्रकाश नगर ( सिताबदियारा) है। यहां वे अपने जीवन काल में  शुभेच्छुओं से मिलने आया करते थे। उन्हें सबका सम्मान, विकास, शिक्षा के संबंध में चिंता हुआ करती थी। 

जेपी वर्ष 1972 में एक बार समस्तीपुर जिले में थे और उनकी इच्छा गांव आने की हुई। वे वहां से ट्रेन से छपरा के लिए चल दिए। छपरा तक ट्रेन से आए फिर वहां से रिविलगंज पहुंच नाव से सरयू नदी पार कर दियारे में आ गए। किसी कारणवश उन्हें ले जाने के लिए आने वाला हाथी अभी उस स्थान पर नहीं पहुंचा था। लेकिन सामान ले जाने के लिए बैलगाड़ी खड़ी थी।

बैलगाड़ी चलाने वाले सिताबदियारा के चैन छपरा गाँव निवासी रमन यादव सारा सामान उठाकर बैलगाड़ी पर लाद लिए।लेकिन जेपी वहीं खड़े थे। उनका इंतजार करना बैलगाड़ी चालक को अच्छा नहीं लगा, तो वह विनम्रता पूर्वक उनसे आग्रह करते हुए बोला.. श्साहब रउरा दिक्कत ना होखे त बैलगाड़ी पर बैठीं, हम खूब आराम से गांव पहुंचा देबश्।

उसका आग्रह सुन जेपी और उनकी पत्नी प्रभावती देवी बिना देर किए बैलगाड़ी पर सवार हो गए। कुछ दूर आने पर महावत हाथी लेकर रास्ते में मिला और उनसे हाथी पर बैठने के लिए अनुनय विनय करने लगा, लेकिन दोनों लोग बैलगाड़ी चालक के हृदय को आघात न पहुंचे, इसलिए बैलगाड़ी से नहीं उतरे और हाथी को वापस जाने को बोल दिया।

-आठ सितंबर 1978 को जब जेपी अंतिम बार अपने पैतृक गांव जयप्रकाश नगर (सिताब दियारा ) आए तो उस समय वह पूरी तरह अस्वस्थ थे। फिर भी शुभचिंतकों से मिलने के इच्छुक थे। सूचना मिलते ही जेपी के यहां लोगो का तांता लग गया। तीन दिन तक गांव रहे लेकिन मिलने वालों का तांता नहीं टूटा।

जब वापस 11 सितंबर 1978 को हेलीकॉप्टर में बैठने लगे और चंद्रशेखर साथ में ही थे ।तो उन्होंने चंद्रशेखर से कहा कि श्ए चंद्रशेखर हमरा  सिताब दियारा खयाल रखिहश् और उनकी आंखें भर आई। उस बात का मान रखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने अपने जीवन काल में जयप्रकाश नगर को अपनी कर्मस्थली मान लिया और हर सम्भव विकास करने का प्रयास किया।

समाजवाद के पुरोधा व सम्पूर्ण क्रांति के अग्रज रहे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पैतृक गांव स्थित जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान परिसर में 11 अक्तूबर को जयप्रकाश नारायण की 123वीं जयंती मनाई जा रही है। ट्रस्ट के व्यवस्थापक अशोक कुमार सिंह ने बताया कि जेपी जयंती पर प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी क्षेत्र के राजनीतिक व सम्मानित लोगों को आमंत्रित किया गया है।

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