लखनऊ। लखनऊ जिले के इटौंजा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में विशेषज्ञ डॉक्टरों और आंख, कान और हड्डियों के स्टाफ की भारी कमी है,जिससे मरीजों को इलाज में दिक्कतें आ रही हैं। हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद अस्पताल के अधीक्षक डॉ. किसलय वाजपई ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए यहाँ कंगारू मदर केयर (के एम सी) वार्ड की स्थापना की है, जो नवजात शिशुओं के लिए जीवन रक्षक साबित हो रहा है। वहीं अस्पताल में फिजिशियन, सर्जन, नेत्र विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ, ईएनटी विशेषज्ञ जैसे, महत्वपूर्ण पदों पर डॉक्टरों की तैनाती नहीं है। इसके अलावा चीफ फार्मासिस्ट, वार्ड बॉय और नियमित सफाई कर्मचारियों की भी कमी बनी हुई है, जो स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित कर रही है। अधीक्षक डॉ. किसलय वाजपेई ने इन रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
इन कमियों के बीच, अस्पताल का कंगारू मदर केयर (के एम सी) वार्ड एक उम्मीद की किरण है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सबा आफरीन और डॉ. चंद्रा की देखरेख में चल रहा यह वार्ड उन नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए समर्पित है जिनका जन्म समय से पहले हो गया हो या जिन्हें सांस लेने में परेशानी हो। वहीं डॉ. कुसुम सिंह ने बताया कि यह वार्ड एनडीएसयू (न्यू बॉर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट) के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि जब किसी बच्चे को जन्म के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है,तो उसे यहाँ भर्ती कर उसकी स्थिति को स्थिर किया जाता है। वहीं के.एम.सी एक ऐसी पद्धति है जहाँ माँ या परिवार का कोई सदस्य शिशु को अपनी छाती से लगाकर रखता है। यह तरीका न केवल शिशु को गर्मी देता है बल्कि उसे माँ का स्पर्श और दिल की धड़कन महसूस कराकर मानसिक सुकून भी प्रदान करता है, जो उसके शारीरिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। वहीं इटौंजा सीएचसी का यह प्रयास सीमित संसाधनों के बावजूद भी बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह पहल स्वास्थ्य कर्मियों के समर्पण और नवजात शिशुओं के प्रति उनकी संवेदनशीलता का प्रमाण है।