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नजूल की करोड़ों की जमीन पर कब्जे का खेल, सिविल लाइंस की 4.95 एकड़ भूमि पर बढ़ा विवाद, फ्री होल्ड को छोड़कर डीएम ने दिए जांच व संरक्षा के आदेश


मुरादाबाद (विधान केसरी)। सिविल लाइंस क्षेत्र की बेशकीमती नजूल भूमि गाटा संख्या–470 इन दिनों मुरादाबाद में सुर्खियों के केंद्र में है। करीब 4.95 एकड़ (20032 वर्गमीटर) की इस जमीन में से सिर्फ 2713 वर्गमीटर भूमि ही फ्री होल्ड है, जबकि शेष 17318 वर्गमीटर भूमि सरकारी नजूल जमीन है जिस पर वर्षों से कब्जे, निर्माण और प्लॉटिंग का खेल चल रहा है। मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर की गई एक शख्स की शिकायत के बाद अब प्रशासन ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कार्रवाई के संकेत दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक, डीएम अनुज सिंह ने इस प्रकरण पर गंभीरता दिखाते हुए मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (MDA) को पत्र जारी किया है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि फ्री होल्ड भूमि को छोड़कर बाकी नजूल भूमि को तत्काल शासन हित में सुरक्षित किया जाए और जिन लोगों ने इस जमीन पर अतिक्रमण किया है, उन्हें चिन्हित कर रिपोर्ट दी जाए।

फ्री होल्ड का झांसा, कई चेहरे आए रडार पर
सिविल लाइंस के इस इलाके में PMS स्कूल, डॉ. मंजेश राठी का DMR हॉस्पिटल सहित कई प्रतिष्ठान मौजूद हैं। अब ये सभी अपने-अपने स्तर पर जमीन को फ्री होल्ड बताकर दावा पेश करने में जुटे हैं, लेकिन किसी ने भी अब तक अपने फ्री होल्ड या नामांतरण के अभिलेख सार्वजनिक नहीं किए हैं। यही वजह है कि प्रकरण लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि अगर इस जमीन की निष्पक्ष जांच हुई तो कई सौ करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति पर वर्षों से जारी बंदरबांट का खुलासा हो सकता है। इसमें स्थानीय रसूखदारों से लेकर संस्थागत नामों तक के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है।

नजूल रजिस्टर से खुली बड़ी परतें
डीएम कार्यालय से जारी पत्र में उल्लेख है कि नजूल भूखण्ड संख्या–470 (पुराना प्लॉट नंबर–129) ग्राम छावनी की यह कुल 4.95 एकड़ जमीन मूल रूप से श्रीमती भागीरथी उर्फ कुट्टी पुत्री मीर खां को आवासीय प्रयोजनार्थ पट्टे पर दी गई थी। पट्टाधारक की मृत्यु के बाद उनके वारिसों के नाम भूमि दर्ज की गई। हालांकि नजूल मैनुअल के पैरा 67 में स्पष्ट प्रावधान है कि —किसी भी नजूल भूमि का स्थायी पट्टा (Perpetual Lease) किसी भी शर्त पर नहीं दिया जा सकता।।इसके बावजूद इस जमीन पर निर्माण कार्य, प्लॉटिंग और नामांतरण जैसी गतिविधियाँ की गईं, जो नियमों के विपरीत हैं।

फॉर्म ‘सी’ का भी उल्लंघन
फॉर्म ‘सी’ में साफ लिखा है कि नजूल भूमि पर कोई भी निर्माण कार्य या नामांतरण जिलाधिकारी की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता। फिर भी संबंधित पक्षों ने न तो अनुमति ली और न ही शासनादेश का पालन किया। यही कारण है कि प्रशासन अब हर निर्माण की जांच कर रहा है कि कितना हिस्सा वैध फ्री होल्ड में आता है और कितना अवैध कब्जे में।

नगर निगम की भी जिम्मेदारी तय
डीएम ने नगर आयुक्त को भी पत्र की प्रतिलिपि भेजते हुए कहा है कि यदि नजूल भूखण्ड संख्या–470 की फ्री होल्ड सीमा से अधिक क्षेत्रफल पर भवन स्वीकृति या अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी हुआ है, तो उसे तत्काल निरस्त किया जाए। यह न केवल नियमविरुद्ध है बल्कि शासकीय हित के प्रतिकूल भी है।

संभावित खुलासा: सरकारी जमीन पर बना साम्राज्य
सूत्रों का कहना है कि यदि प्रशासन ने इस पर जमीन की पैमाइश और रजिस्टर की गहन जांच कराई तो नजूल की अरबों की सरकारी संपत्ति के बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है। फिलहाल डीएम अनुज सिंह के आदेश के बाद MDA की टीम ने भूमि का सर्वे और कब्जाधारियों की पहचान शुरू कर दी है। मुरादाबाद की सबसे महंगी जमीनों में से एक — नजूल भूखण्ड संख्या–470, ग्राम छावनी, सिविल लाइंस क्षेत्र — अब प्रशासनिक जांच के घेरे में है। जो भी इस भूमि पर निर्माण कर चुका है या दावा ठोक रहा है, अब उसे अपने फ्री होल्ड दस्तावेज और नामांतरण आदेश प्रस्तुत करने होंगे। प्रशासन ने साफ कर दिया है — सरकारी जमीन पर कब्जा अब किसी कीमत पर नहीं बचेगा।

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