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आवारा कुत्तों के मामले ने पूरी दुनिया में कर दिया फेमस-सीनियर जज विक्रम नाथ


अदालत के अंदर और बाहर अपनी हल्की-फुल्की बातचीत के लिए मशहूर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस विक्रम नाथ ने शनिवार (30 अगस्त, 2025) को कहा कि आवारा कुत्तों के मामले ने उन्हें दुनिया भर में फेमस कर दिया है.

जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की एक विशेष पीठ ने 22 अगस्त को दो न्यायाधीशों की पीठ के 11 अगस्त के आदेश में संशोधन किया, जिसमें दिल्ली और आसपास के इलाकों के आश्रय स्थलों से पकड़े गए आवारा कुत्तों को छोड़ने पर रोक लगा दी गई थी.

केरल के तिरुवनंतपुरम में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की तरफ से आयोजित मानव-वन्यजीव संघर्ष पर एक क्षेत्रीय सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वह यह मामला सौंपने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के आभारी हैं.

जस्टिस नाथ, जो 2027 में भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की दौड़ में हैं, उन्होंने कहा, "लंबे समय से कानूनी बिरादरी में मैं अपने छोटे-मोटे कामों के लिए जाना जाता रहा हूं, लेकिन मैं आवारा कुत्तों का भी आभारी हूं, जिन्होंने मुझे न केवल इस देश में, बल्कि दुनिया भर के पूरे नागरिक समाज में पहचान दिलाई. मैं हमारे मुख्य न्यायाधीश का भी आभारी हूं कि उन्होंने मुझे यह मामला सौंपा."

उन्होंने कहा, "मुझे यह भी मैसेज मिल रहे हैं कि कुत्ता प्रेमियों के अलावा कुत्ते भी मुझे आशीर्वाद और शुभकामनाएं दे रहे हैं." न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कुत्तों का बंध्याकरण किया जा सकता है, उनका टीकाकरण किया जा सकता है और उन्हें उसी क्षेत्र में वापस छोड़ा जा सकता है जहां से उन्हें उठाया गया था.

हालांकि न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा कि यह आदेश रेबीज से संक्रमित या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों पर लागू नहीं होगा. पीठ ने 11 अगस्त के निर्देश को बहुत कठोर बताते हुए संशोधित किया.

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