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कृष्ण के माखन चोर नाम पर विवाद क्यों, किसने दिया ये नाम


"अचिन्त्याः खलु ये भावा न तांस्तर्केण योजयेत्।"


यानी- भगवान की लीलाएं और भाव अचिन्त्य हैं. उन्हें तर्क से नहीं, सिर्फ भक्ति-भाव से जाना जा सकता है.

द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म श्रहरि विष्णु के आठवें अवतार के रूप में हुआ. कृष्ण ने कई लीलाएं रचीं और हर लीला से उन्हें एक नाम प्राप्त हुआ. श्रीकृष्ण के प्रमुख नामों में कान्हा, कन्हैया, नंदलाला, मुरलीधर, लड्डू गोपाल, गोपाला और माखन चोर है. ये नाम उन्हे परिजनों और प्रियजनों से प्राप्त हुए. भगवान का यह नाम आज भी भक्तिभाव के साथ लिया जाता है.

श्रीकृष्ण को क्यों कहते हैं माखनचोर

श्रीकृष्ण के कई नामों में ‘माखनचोर’ अधिक चर्चा में रहता है. इसका संबंध बाल्यकाल में सखाओं संग श्रीकृष्ण का माखन चोरी करना बताया जाता है. यह नाम उन्हें गोकुल की गोपियों और गांव वालों से मिला. हालांकि कृष्ण के माखन चोरी प्रसंग को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं. आइए शास्त्र-पुराण और दार्शनिक दृष्टि से समझते हैं कान्हा को क्यों कहते हैं माखन चोर. लेकिन इससे पहले मध्य प्रदेश सरकार के बयान जानते हैं, जोकि इसस समय काफी चर्चा में बना हुआ है.हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनकी सरकार द्वारा यह कहा गया है कि, श्रीकृष्ण माखनचोर नहीं थे. भगवान पर माखनचोर का गलत टैग लगाया गया है, जिसे हटाने के लिए सरकार जनचेतना का अभियान भी चलाएगी.
सीएम डॉ. मोहन यादव का मानना है कि भगवान माखनचोर नहीं थे, उन्होंने माखन को लेकर कंस की नीतियों का विरोध किया और विद्रोह कर दिया, जिसे गलत तरीके से समझ लिया गया और भगवान को माखन चोर कहा जाने लगा.
मध्य प्रदेश सीएम के सांस्कृतिक सलाहकार के अनुसार, भगवान कृष्ण के घर हजारों गाय थीं, जिसके घर दूध-माखन की कमी न हो वह भला माखनचोर कैसे कहला सकता है.

शास्त्र और पुराणों की दृष्टि

श्रीकृष्ण का बाल्यकाल में माखनचोरी करना एक लीला है, जिसका वर्णन श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण और हरिवंश पुराण में मिलता है. इसे ‘कृष्ण बाललीला’ का नाम दिया गया है, जिसमें भगवान का उद्देश्य माखन चुराना नहीं बल्कि भक्तों के साथ निर्मल प्रेम और आनंद की भावना है. गोकुल में माखन का विशेष महत्व था क्योंकि गाय-पालन ही मुख्य आजीविका थी. इसलिए कृष्ण का माखन प्रेम गोप-गोपियों के जीवन से सीधा जुड़ा हुआ था.

गोकुल जैसे ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों का दूध-दही चुराना सामान्य खेल होता था. संभवतः कृष्ण की चंचलता को लेकर यह नाम प्रसिद्ध हुई और बाद में इसे लीला का स्वरूप दिया गया हो. लेकिन इसे भ्रांति कहना सही नहीं होगा. क्योंकि कृष्ण के माखन चोरी का प्रसंग शास्त्रों में विस्तारपूर्वक वर्णित है. इसलिए कृष्ण का माखन चोरी करना केवल बालपन की चंचलता थी.

बाकी प्रभु की लीला प्रभु ही जाने. इसलिए तो कभी वे बालसुलभ आनंद देने के लिए माखनचोर बन गए. कभी मुख में ब्रह्मांड दिखाकर अपने विराट रूप का दर्शन कराया तो कभी गीता का उपदेश देकर धर्म का गूढ़ ज्ञान दिया.

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q. कृष्ण को माखनचोर नाम किसने दिया?

A.गोकुल की गोपियों और गांववालों ने कृष्ण को “माखनचोर” कहना शुरू किया.

Q. क्या सच में कृष्ण माखन चुराते थे?

A. हां, लेकिन इसे भौतिक चोरी नहीं बल्कि प्रेम, आनंद और लीला के रूप में देखा जाता है.

Q.कृष्ण के माखनचोरी की लीला किस ग्रंथ में मिलती है?

A.भगवत पुराण, हरिवंश पुराण और विष्णु पुराण.

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