सोनभद्र। भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 में संविधान निर्माताओ ने बहुत ही उम्मीद के साथ पूर्णतया निष्पक्षता के साथ विभिन्न चुनाव कराए जाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग का गठन किया था।
हम सब इस बात से भी अवगत है कि पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त टी एन शेषण के कार्यकाल में निर्वाचन आयोग ने अपनी निष्पक्षता और कर्मठता से भारत ही नहीं, पूरी दुनिया का ध्यान अपनी और आकृष्ट किया था और आयोग को अत्यंत ही सम्मानजनक स्थान दिलाया था। कष्ट का विषय है कि पिछले लगभग 15 वर्षों से निर्वाचन आयोग लगातार सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी संगठन के रूप में काम करता दिख रहा है. प्रत्येक चुनाव के पूर्व उसके कार्य इस प्रकार के होते हैं जिससे स्पष्ट लगता है कि वह भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर उसके कथित वोटरों को पूरी तरह रिझाने में लगा हुआ है और विपक्षी पार्टियों के कथित वोटरों के प्रति एक अनुचित कठोर दृष्टिकोण अपनाए हुए है. यही कारण है कि लगभग प्रत्येक राज्य में चुनाव में आयोग पर भाजपा से जुड़े कथित वोटरों को अधिक संख्या में जोड़े जाने और कथित रूप से विपक्ष से जुड़े वोटरों का नाम हटाए जाने के आरोप लगातार लग रहे हैं।इसके साथ ही आयोग पर समान प्रकृति के शिकायत में सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष के नेताओं के प्रति पूर्णतया अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाने के तथ्य भी लगातार सामने आ रहे हैं. एक ही मामले में सत्ताधारी पार्टी के नेता को जहां माफ़ी मिलती हुई दिख रही है, वही उसी मामले में विपक्षी पार्टी के नेता को दंडित किए जाने अथवा चेतावनी दिए जाने के तमाम दृष्टांत सामने आए हैं। इसी प्रकार सत्ताधारी पार्टी से जुड़े कथित वोटो के संबंध में स्पष्ट अनियमितता के बाद भी इनके संबंध में की गई शिकायतों पर आयोग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किया जाना दिखता है. इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति आयोग के क्रियाकलापों के संबंध में कोई कठोर या प्रतिकूल टिप्पणी करता है तो उस पर उल्टे एफआईआर दर्ज कर दिए जाने की दृष्टांत भी सामने आ रहे हैं, जैसा अभी हाल में बिहार चुनाव में पत्रकार अजीत अंजुम के मामले में देखा गया है। इसके अलावा एक नया ट्रेंड आयोग द्वारा सीधे बात ना करके सूत्रों और सोर्सेज के हवाले से अपने मनमानी खबरें चलाने की भी दिख रही है, जो किसी भी प्रकार से उचित नहीं है।अतः आजाद अधिकार सेना का आपसे अनुरोध है कि कृपया इस महत्वपूर्ण बिंदु पर आंतरिक मंथन और चिंतन करते हुए अविलंब इस प्रकार की स्थिति को समाप्त किए जाने की कृपा करें किए जाने, ताकि सत्ता पार्टी के साथ विपक्ष को भी निर्वाचन आयोग पर समान भरोसा हो सके।