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लखनऊ: फाइलेरिया (हाथीपांव) एक लाइलाज बीमारी, बचाव हेतु वर्ष में एक बार दवा जरूर खाएं


लखीमपुर खीरी। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। लोगों को इससे बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के अंतर्गत 10 अगस्त से दवा का सेवन कराया जाएगा। जिसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जिला मलेरिया अधिकारी ने तैयारी की समीक्षा के लिए मंगलवार को एक समीक्षा बैठक की है।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संतोष गुप्ता ने बताया कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। संक्रमित मच्छर के काटने के 10-15 वर्षों के बाद इसका प्रभाव दिखाई देता है जैसे हाथ, पैर, स्तन या अंडकोश में सूजन, पेशाब में सफेद रंग के द्रव का स्राव (काइलूरिया), लम्बे समय से सूखी खांसी आना (ट्रोपिकल स्नोफीलिया) आदि के रूप में दिखाई देता है। फाइलेरिया रोग (हाथी पांव) एक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी से बचाव के लिए फाइलेरिया रोधी औषधियों का सेवन प्रत्येक व्यक्ति को जरूर करना चाहिए।अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, वीबीडी, डॉ एसपी मिश्रा ने बताया कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है यह व्यक्ति को हमेशा के लिए दिव्यांग भी बना सकती है। इससे बचाव के लिए जनपद में दिनांक 10 अगस्त से ष्फाइलेरिया उन्मूलन अभियानष् के अन्तर्गत आईडीए कार्यक्रम जनपद के 08 ब्लाकों बेहजम, धौरहरा, कुम्भी, मोहम्मदी, नकहा, पसगवां, फूलबेहड़ एवं रमियाबेहड़ में संचालित किया जायेगा, जिसमें ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर्स (आशा कार्यकत्री व अन्य) द्वारा घर-घर जाकर फाइलेरिया रोधी औषधियों का सेवन अपने सम्मुख करायेंगे। फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन अवश्य किया जाए।साथ ही यह भी बताया गया कि अगर किसी को दवा खाने के बाद चक्कर आए, जी मिचलाए, घबराहट हो और उल्टी जैसे लक्षण प्रतीत हों तो डरें नहीं यह उन लोगों को होगा जिनके अंदर फाइलेरिया के कीटाणु होंगे इसलिए सभी इस दवा का सेवन अवश्य करें।जिला मलेरिया अधिकारी हरिशंकर ने बताया कि फाइलेरिया एक घातक बीमारी है। यह साइलेंस रहकर शरीर को बहुत नुकसान कर सकती है। यही कारण है कि इस बीमारी की जानकारी समय पर नहीं हो पाती। शासन की ओर से जनपद में ष्फाइलेरिया उन्मूलन अभियानष् के अन्तर्गत दिनांक 10 अगस्त से ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर्स घर-घर जाकर दवा का सेवन करायेंगे। 01 वर्ष से छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाएं एवं अति गम्भीर रोग से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को दवा का सेवन करना अनिवार्य है ताकि फाइलेरिया रोग जैसे लिम्फोडीमा, हाइड्रोसील, काइलुरिया, ट्रोपिकल स्नोफीलिया से बचा जा सकेस आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। हालांकि बुखार, बदन में खुजली, और पुरूष के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसील (अण्डकोश में सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण है। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैरों में हाथी पांव जैसी सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है।फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से होता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें जैसे नालियों की सफाई, कचरा निस्तारण, झाड़ियों की कटाई, फागिंग एवं जनजागरूकता इत्यादि। पानी जमा न होने दें. जल जमाव वाले स्थानों पर जला मोबिल डाले औरसमय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। फुल आस्तीन के कपड़े पहनकर रहें। सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगायें।

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