Type Here to Get Search Results !
BREAKING NEWS

बाराबंकीः रूदौली को बाराबंकी में शामिल कराने को लेकर अधिवक्ताओं ने भरी हुंकार, संघर्ष का हुआ शंखनाद


बाराबंकी। रूदौली को पहले की तरह बाराबंकी में शामिल कराने के लेकर शनिवार को अधिवक्ताओं की एक जुटता साफ दिखाई दी। अधिवक्ताओं की मांग थी कि जिले को लखनऊ मंडल में जोड़ा जाए और साथ ही अधिवक्ताओं का टोल टैक्स माफ किया जाए। जिला बार एसोसिएशन के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को संघर्ष का शंखनाद कर दिया। अधिवक्ताओं ने कचहरी परिसर से जुलूस की शक्ल में नारेबाजी करते हुए जिलाधिकारी कार्यालय पहुच कर तीन सूत्रीय मांगों को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में सपष्ट शब्दों में कहा गया है कि  31 अक्टूबर 2007 को तत्कालीन सरकार द्वारा रुदौली को बिना किसी स्थानीय मांग के फैजाबाद (अब अयोध्या) में शामिल कर दिया गया, जबकि ऐतिहासिक, भौगोलिक और प्रशासनिक रूप से रुदौली तहसील बाराबंकी जनपद का अभिन्न हिस्सा रही है। इस फैसले से न केवल अधिवक्ताओं बल्कि आमजन को भी भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। वकीलों ने इसे जनता की भावना के विरुद्ध निर्णय बताया।बार एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र वर्मा ने पत्रकारों से बात चीत में कहा कि हम रुदौली को उसके पुराने घर बाराबंकी में वापस लाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। ये केवल वकीलों की नहीं, जनपद के आत्मसम्मान की लड़ाई है।यही नहीं डीएम के माध्यम से बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों और अधिवक्ताओं ने भारत सरकार के भूतल परिवहन मंत्री को संबोधित ज्ञापन सौपते हुए दो प्रमुख हाईवे टोल प्लाजा पर वकीलों से वसूले जा रहे टैक्स को समाप्त करने की मांग की। उनका कहना है कि अधिवक्ता लगातार पेशी व कार्यों के सिलसिले में मुख्यालय आते-जाते रहते हैं, ऐसे में उनसे टोल टैक्स लेना न्यायसंगत नहीं है।दिये गये ज्ञापन में अधिवक्ताओं की  तीसरी अहम मांग के रूप में जनपद को अयोध्या मंडल से हटाकर लखनऊ मंडल में शामिल करने की बात कही गई। अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि बाराबंकी से लखनऊ मंडल की दूरी महज 23 किलोमीटर है, जबकि अयोध्या की दूरी 100 किलोमीटर से अधिक है, जिससे विकास कार्यों में अनावश्यक विलंब और असुविधा उत्पन्न होती है और आने जाने में खर्च भी अधिक लगता है। डीएम को ज्ञापन देने वालो में बार एसोसिएशन के महामंत्री रामराज यादव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष रितेश कुमार मिश्रा , पवन कुमार मिश्रा,  हिसाल बारी किदवई ,अशोक वर्मा,देवेन्द्र यादव,मदन लाल यादव,राकेश तिवारी, विजय पांडे,सी बी सिंह,

सुरेश चंद्र गौतम, सुनीत अवस्थी,  शाहीन अख्तर , नरेश कुमार सिंह, शिवकुमार वर्मा, नवीन कुमार वर्मा, विजय रस्तोगी दौलता कुमारी, रूबी सिंह ,इंद्रसेन 

पूर्व प्रकाशन मंत्री नीरज वर्मा, रामानंद वर्मा,दारा यादव, शिव कुमार वर्मा उदय भान वर्मा   हिमालय  जायसवाल, अनुराग शुक्ला, मनोज कुमार सिंह, अशोक वर्मा, सैकड़ों अधिवक्ता मौजूद रहे। यह आंदोलन अब सिर्फ मांगों का ज्ञापन नहीं रहा, बल्कि यह जनपद की पहचान और गरिमा को पुनः स्थापित करने का एक संगठित प्रयास बनता जा रहा है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Design by - Blogger Templates |