सूरतगंज /बाराबंकी। सूरतगंज शिक्षा क्षेत्र में निजी स्कूलों की बेतहाशा बढ़ोतरी ने सरकारी स्कूलों की रौनक छीन ली है। कभी गांव की पहचान रहे परिषदीय विद्यालय आज सन्नाटे से जूझ रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि सूरतगंज ब्लॉक के 204 परिषदीय विद्यालयों में से 23 स्कूल ऐसे हैं जहां छात्रों की संख्या 50 से भी नीचे जा चुकी है।विभाग का दावा है कि नामांकन की प्रक्रिया जारी है और इस बार बच्चों की संख्या बढ़ेगी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर दिखा रही है। वर्ष 2023 में जहां इन स्कूलों में 31,438 छात्र पंजीकृत थे, वहीं 2024 में यह संख्या घटकर 27,315 रह गई और अब 2025 में महज 22,175 बच्चे ही नामांकित हैं। यह गिरावट चिंताजनक है ,तीन वर्षों में 9,000 से अधिक बच्चों का सरकारी स्कूलों से मोहभंग हो चुका है।सरकार बच्चों को पढ़ाई के लिए हर जरूरी चीज ड्रेस, जूते-मोजे, किताबें, स्कूल बैग और स्टेशनरी के लिए 100 रुपये भी उपलब्ध करा रही है, बावजूद इसके ग्रामीण अभिभावकों का भरोसा इन स्कूलों से डगमगा रहा है। माता-पिता अब प्राइवेट स्कूलों को तरजीह दे रहे हैं, भले ही इसकी कीमत उन्हें भारी फीस के रूप में चुकानी पड़े।
यह कहानी सिर्फ सूरतगंज की नहीं, बल्कि हर उस गांव और कस्बे की है जहां सरकारी स्कूल कभी शिक्षा का आधार हुआ करते थे। अब समय है आत्मचिंतन का कहीं हम अपने बच्चों को उनके बचपन से ही सामाजिक भेदभाव की ओर तो नहीं मोड़ रहे?
संजय कुमार, खंड शिक्षा अधिकारी, सूरतगंज ने कहा कि स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। अभिभावकों से संपर्क किया जा रहा है। उम्मीद है कि इस बार नामांकन बढ़ेगा। फिलहाल कोई स्कूल बंद नहीं होगा।