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बाराबंकीः मध्यस्थता न केवल न्याय का मार्ग है, बल्कि आपसी समझ और रिश्तों को जोड़ने का सेतु भीकृ जिला न्यायाधीश


बाराबंकी। मध्यस्थता केवल कानूनी प्रक्रिया नहीं, यह विश्वास की पुनर्स्थापना है। जब दो पक्ष संवाद के जरिए समाधान की ओर बढ़ते हैं, तो न सिर्फ मामला सुलझता है, बल्कि संबंधों में भी मिठास लौट आती है।यह बातें जिला जज प्रतिमा श्रीवास्तव ने बुधवार को जिला न्यायालय  के विश्राम कक्ष में आयोजित बैठक के दौरान कही। बैठक का उद्देश्य न्याय को और अधिक सहज, सुलभ और मानवीय बनाने की दिशा में एक प्रेरणादायक प्रयास के रूप में देखा गया।बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला जज प्रतिमा श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय मध्यस्थता अभियान  को सफल बनाने पर बल देते हुए,  लंबित मामलों के बोझ को कम करने की दिशा में सकारात्मक सुझाव दिये । उन्होंने नागरिकों को शीघ्र, शांतिपूर्ण समाधान मिल सके इसके लिए आवश्यक निर्देश दिए। बैठक में उन्होंने सभी मध्यस्थगणों को निर्देश देते हुए कहा कि  अभियान की अवधि 1 जुलाई से 30 सितम्बर निर्धारित की गई है ऐसे में  अधिक से अधिक मामलों का समाधान मध्यस्थता के माध्यम से किया जाए।जिला जज ने वैवाहिक विवादों से लेकर चेक बाउंस, घरेलू हिंसा, सड़क दुर्घटना, ऋण वसूली, सेवा विवाद, संपत्ति बंटवारा जैसे मामलों को प्राथमिकता में रखने की बात कही । बैठक में यह भी तय हुआ कि संदर्भित मामलों की सूचना संबंधित पक्षों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाने के लिए तहसील प्रशासन और पुलिस विभाग का सहयोग लिया जाए, और अभियान का व्यापक प्रचार-प्रसार भी कराया जाए ताकि आमजन तक इसका लाभ पहुंच सके।सचिव श्रीकृष्ण चन्द्र सिंह की उपस्थिति में आयोजित इस बैठक में जिले के प्रमुख मध्यस्थगण  अश्विनी कुमार वर्मा, कमलेश कुमार तिवारी, रजनी सिंह, सिकंदर जहां कादरी, बालक राम, कमलेश चन्द्र शर्मा, ओपी सिंह, सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, मोहम्मद आफाक आलम सहित अन्य तमाम लोग मौजूद रहे।

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