मैनपुरी। सुदिती ग्लोबल एकेडमी, मैनपुरी में आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर भावनात्मक और सांस्कृतिक गरिमा से परिपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस शुभ दिन पर विद्यार्थियों ने अपने गुरुजनों को तिलक, चरण-स्पर्श और पुष्प अर्पण कर उनके प्रति आभार और श्रद्धा व्यक्त की।
विद्यार्थियों ने विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. राम मोहन, प्रशासनिक प्रधानाचार्य डॉ. कुसुम मोहन प्रबंध निदेशक डॉ. लव मोहन, उप प्रधानाचार्य श्री जयशंकर तिवारी तथा समस्त शिक्षकगणों का पारंपरिक ढंग से तिलक कर चरण स्पर्श करते हुए सम्मान किया और आशीर्वाद प्राप्त किया। पूरा वातावरण गुरु वंदना और आत्मीयता से गूंज उठा।
इस अवसर पर प्रधानाचार्य डॉ. राम मोहन ने अपने आशीर्वचन में कहा कि “गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, यह भारतीय संस्कृति की आत्मा है। यह वह दिवस है जब शिष्य अपने गुरु को स्मरण कर उन्हें जीवन की दिशा देने के लिए धन्यवाद ज्ञापित करता है।”
उन्होंने आगे कहा “हमारे जीवन के प्रथम गुरु हमारे माता-पिता होते हैं, जिनकी उंगली पकड़कर हम जीवन की यात्रा शुरू करते हैं। वे हमें बोलना सिखाते हैं, चलना सिखाते हैं, जीवन मूल्यों की नींव रखते हैं। माता-पिता के बाद विद्यालय के गुरु हमारे जीवन में ज्ञान, अनुशासन और संस्कार का संचार करते हैं। इस प्रकार गुरु का स्थान जीवन में सबसे ऊँचा होता है। इसलिए, हमें न केवल अपने शिक्षकों का, बल्कि माता-पिता का भी श्रद्धा और सम्मान के साथ नित्य आभार प्रकट करना चाहिए।”
डॉ. राम मोहन ने यह भी कहा कि एक अच्छा गुरु वह नहीं जो केवल पाठ पढ़ाए, बल्कि वह है जो अपने व्यवहार, धैर्य और करुणा से विद्यार्थियों के जीवन को गढ़े। “आज जब हमारे विद्यार्थी तिलक और चरण-स्पर्श की परंपरा के साथ अपने गुरुजनों को सम्मान दे रहे हैं, तब यह शिक्षा का सबसे उज्ज्वल पक्ष सामने आता है।”
प्रबंध निदेशक डॉ. लव मोहन ने कहा कि “गुरु-शिष्य संबंध आत्मा और शरीर के समान है। सुदिती ग्लोबल एकेडमी में हम इसी भाव के साथ शिक्षा को संस्कार और संस्कृति से जोड़कर प्रदान करते हैं।”
उप प्रधानाचार्य जयशंकर तिवारी ने विद्यार्थियों को इस पावन अवसर की बधाई देते हुए कहा कि जब विद्यार्थी अपने गुरु के चरणों में झुकते हैं, तो उसमें उनका आत्मविकास सुनिश्चित होता है।
संपूर्ण आयोजन विद्यार्थियों में विनम्रता, संस्कार और गुरु-भक्ति का संचार करने में सफल रहा। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने गीत, भाषण और कविता पाठ के माध्यम से भी गुरुजनों को समर्पित श्रद्धा प्रकट की।
सुदिती ग्लोबल एकेडमी एक बार फिर यह सिद्ध करने में सफल रहा कि वह केवल एक शिक्षण संस्था नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, मूल्यनिष्ठा और आदर्शों का दीप स्तंभ है।