बाराबंकी। जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में हुए सड़क हादसों ने तीन घरों की खुशियाँ छीन लीं। रामसनेहीघाट, नगर कोतवाली और रामनगर में अलग-अलग दुर्घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो गई। कोई बेटे के लौटने की राह देख रहा था, कोई पिता की थाली सजा रहा था, और कोई वृद्ध को घर लौटता देख मुस्कुरा रहा था , लेकिन सड़क पर बिखरे खून ने इन सभी की तस्वीरें हमेशा के लिए बदल दीं।पहला हादसा रामसनेहीघाट के हरिलालपुरवा निवासी जसवंत कुमार (उम्र 45) गुरुवार रात बाजार से लौट रहे थे। भिटरिया-हैदरगढ़ मार्ग पर अचानक एक सांड से टकराकर बाइक से गिर पड़े। सिर में गहरी चोट लगने के कारण मौके पर ही दम तोड़ दिया।चचेरे भाई ने बताया, जसवंत भाई बहुत सीधा-सादा इंसान था। घर में एक बेटा और तीन बेटियाँ हैं। अब उनका सहारा कौन बनेगा?परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।तो वही नगर कोतवाली क्षेत्र में रहने वाला सचिन ( उम्र 20) मैनपुरी का मूल निवासी था। लखनऊ-फैजाबाद हाइवे पर एक होटल के पास आईस्क्रीम बेचने का काम करता था। रात को भोजन के लिए निकला और अज्ञात वाहन ने उसे कुचल डाला।जब साथी संदीप ने देर रात तक न लौटने पर तलाश की, तो उसे सड़क किनारे मृत अवस्था में पाया।सचिन का सपना था परिवार की आर्थिक मदद करना, लेकिन सपने से पहले ही जीवन का अंत हो गया।इसी तरह ग्राम हथोईया निवासी रामफल ( उम्र 58) गुरुवार को सूरतगंज से लौट रहे थे, तभी तेज रफ्तार बाइक ने टक्कर मार दी। घायल अवस्था में उन्हें सूरतगंज अस्पताल ले जाया गया, लेकिन हालत गंभीर होने पर जिला अस्पताल रेफर किया गया।रास्ते में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। परिजन शव लेकर घर पहुंचे तो गांव में सन्नाटा पसर गया। उनकी पत्नी बेसुध हो गई और बेटियाँ चीख-चीखकर पिता को पुकारती रहीं।
लगातार हो रहे सड़क हादसे प्रशासन, यातायात विभाग और जनप्रतिनिधियों के लिए चेतावनी हैं।सड़कें आए दिन खून से रंगी मिलती हैं और कई परिवारों की दुनिया उजड़ जाती है।क्या यह दर्द हमेशा यूं ही चलता रहेगा? सवाल वहीं है पर हर बार जवाब एक लाश के साथ दफन हो जाता है।