बलिया। नैनो यूरिया प्लस एवं नैनो डीएपी तरल पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम शुक्रवार को कृषि भवन सभागार में आयोजित किया गया। क्षेत्र अधिकारी इफको आशीष गुप्ता द्वारा सभागार में उपस्थित सभी केंद्र प्रभारी एवं प्रगतिशील कृषकों को नैनो उर्वरकों के प्रयोगविधि एवं लाभ के बारे में जानकारी दी गई। नैनो डीएपी तरल का प्रयोग किसान बीज शोधन पांच मिलीलीटर ध् किलोग्राम बीज की दर से एवं जड़ शोधन पांच मिलीलीटरध् लीटर के दर से करें एवं दानेदार डीएपी की मात्रा आधी प्रयोग करें और 30-35 दिन बाद जब फसल पर पत्तियां आ जाए तो अनाज वाली फसलों में 4 मिलीलीटरध् लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
पारंपरिक डीएपी से सस्ता (600 रु प्रति बोतल)। मिट्टी, जल एवं वायु प्रदूषण में कमी। भंडारण एवं परिवहन में सुविधा ।
पर्यावण हितैषी। फसल उपज एवं गुणवत्ता में वृद्धि। नैनो यूरिया प्लस रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी लाकर बेहतर पोषण व गुणवत्तायुक्त उत्पादन बढ़ाता है।
नैनो यूरिया प्लस का प्रयोग फसल जब 30 से 35 दिन की हो जाए तो पत्तियों पर चार मिलीलीटर ध्लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें और दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 15 से 20 दिन बाद करें एवं दानेदार यूरिया का प्रयोग केवल पहली टापड्रेसिंग में ही करें शेष नाइट्रोजन की पूर्ति नैनो यूरिया प्लस के माध्यम से करें। इसके प्रयोग से पौधों को जब नाइट्रोजन की पूर्ति पत्तियों के माध्यम से हो जाएगी तो खरपतवार पर भी अंकुश लगेगा, फसल उपज एवं गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है। नैनो यूरिया प्लस की 500 उस की एक बोतल एक एकड़ क्षेत्रफल के लिए पर्याप्त है। जिले के सभी किसानों से आग्रह है कि दानेदार उर्वरकों का प्रयोग कम करते हुए नैनो यूरिया प्लस एवं नैनो डीएपी का प्रयोग अवश्य करें। नैनो यूरिया प्लस अब भारत में आत्मनिर्भर कृषि का मार्ग प्रशस्त करने वाला सहकारिता से समृद्धि की ओर एक बड़ा कदम बनने जा रहा है। सभी किसान भाई द्वितीय एवं तृतीय टापड्रेसिंग में नैनो यूरिया प्लस या नैनो यूरिया प्लस तथा नैनो डीएपी का एक साथ घोल बनाकर छिड़काव अवश्य करें।इससे फसल उपज एवं गुणवत्ता में वृद्धि होती है। सभी किसान भाई नैनो उर्वरकों का प्रयोग करें। इसके प्रयोग से लागत में भी कमी आएगी और गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी।