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5 हफ्ते से त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट पर खड़ा ब्रिटिश फाइटर जेट F-35 फाइनली लंदन रवाना


ब्रिटिश नेवी का स्टेल्थ फाइटर जेट F-35 तिरुवनंतपुरम (त्रिवेंद्रम) से रवाना हो गया है. पांच हफ्तों से तकनीकी खराबी के चलते ब्रिटिश रॉयल नेवी का ये लड़ाकू विमान त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट पर खड़ा था. इंग्लैंड से रॉयल एयर फोर्स की एक स्पेशलिस्ट टीम ने त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट स्थित एमआरओ फैसिलिटी में मरम्मत के बाद जेट को उड़ाने लायक बनाया.

दिल्ली स्थित यूके हाई कमीशन ने भारत का आभार जताते हुए कहा कि 'रिपेयर और सेफ्टी चेक' के बाद F-35B एयरक्राफ्ट तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट से रवाना हो गया है और फिर से 'एक्टिव' सेवा में आ गया है.

खास बात है कि बुधवार (23 जुलाई, 2025) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय इंग्लैंड के दौरे पर जा रहे हैं. इस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार मुक्त संधि पर हस्ताक्षर के साथ ही रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा होने की संभावना है. स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर जेट AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) के लिए इंग्लैंड की रोल्स रॉयस कंपनी के एविएशन इंजन को लेकर भी खास तौर से बातचीत हो सकती है.

पिछले महीने की 14 तारीख (जून) से पांचवी श्रेणी का 'अदृश्य' एफ-35 विमान इमरजेंसी लैंडिंग के चलते त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट पर खड़ा था. शुरुआत में बताया गया था कि फ्यूल की कमी के चलते फाइटर जेट की लैंडिंग कराई गई है. बाद में फिर तकनीकी खराबी कारण बताया गया. त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद फाइटर जेट उड़ नहीं पाया. ऐसे में पूरी दुनिया में ये एक कौतुहल का विषय बन गया, क्योंकि पहली बार किसी गैर-नाटो देश में अमेरिका में बना सबसे उन्नत और आधुनिक फाइटर जेट फंस गया था.

ये एफ-35 फाइटर जेट, रॉयल नेवी के विमान-वाहक युद्धपोत HMS-वेल्स पर तैनात था. घटना के वक्त, HMS-वेल्स अरब सागर में तैनात था. अमेरिका, इंग्लैंड और नाटो देशों को इसलिए भी झटका लगा क्योंकि भारतीय वायुसेना ने एफ-35 को 'डिटेक्ट' करने का दावा कर डाला.

वायुसेना ने बताया कि देश के IACCS यानी इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम ने अरब सागर में उड़ान भरते हुए एफ-35 को पकड़ लिया था. जबकि अमेरिका का दावा है कि इस फाइटर जेट को दुनिया की कोई रडार नहीं पकड़ सकती है. अमेरिका ने इंग्लैंड और इजरायल सहित अपने सहयोगी देशों को इस बेहद एडवांस लड़ाकू विमान को सप्लाई किया है.

शुरुआत में फाइटर जेट के पायलट ने सुरक्षा का हवाला देकर एफ-35 को त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट के हैंगर में ले जाने से भी मना कर दिया था. ऐसे में सीआईएसएफ की एक क्यूआरटी को एफ-35 की सुरक्षा में तैनात किया गया. रॉयल नेवी के इंजीनियर भी तकनीकी खराबी सही करने में नाकाम रहे. बाद में इंग्लैंड से जब रॉयल एयर फोर्स की एक स्पेशलिस्ट टीम त्रिवेंद्रम पहुंची, तब जाकर एफ-35 को एमआरओ यानी मेंटेनेंस रिपेयर और ओवरहालिंग फैसिलिटी में शिफ्ट किया गया.

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