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2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के 12 दोषियों को बरी करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची महाराष्ट्र सरकार


मुंबई में 11 जुलाई, 2006 को ट्रेन में किए गए बम धमाकों के सभी 12 आरोपियों को बरी करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार मंगलवार (22 जुलाई 2025) को सुप्रीम कोर्ट पहुंची. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसे गंभीर विषय बताते हुए तुरंत सुनवाई का अनुरोध किया. मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने मामले को 23 जुलाई को सुनवाई के लिए लगाने पर सहमति दी.

एसजी तुषार मेहता ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की स्पेशल लीव पेटीशन (SLP) सीजेआई बीआर गवई के सामने रखते हुए तुरंत सुनवाई का अनुरोध किया. तुषार मेहता ने कहा, 'यह गंभीर मामला है. एसएलपी तैयार है. कृप्या इसे कल सुनवाई के लिए लिस्ट करें. इस पर तुरंत सुनवाई की जरूरत है.' सीजेआई गवई ने तुरंत सुनवाई के लिए कल की तारीख दे दी और कहा कि हमने पढ़ा कि आठ आरोपियों को बरी भी कर दिया गया है.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 19 साल बाद सोमवार को सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा और यह विश्वास करना मुश्किल है कि उन्होंने अपराध किया है.

इन धमाकों में 180 से अधिक लोग मारे गए थे. 11 जुलाई, 2006 को पश्चिमी लाइन पर विभिन्न स्थानों पर मुंबई की कई लोकल ट्रेन में सिलसिलेवार तरीके से सात विस्फोट हुए थे जिनमें 180 से अधिक लोग मारे गए थे और 800 से ज्यादा घायल हुए थे.

हाईकोर्ट के जज जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की विशेष पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपराध में इस्तेमाल किए गए बमों के प्रकार को भी रिकॉर्ड में लाने में विफल रहा और जिन सबूतों पर उसने भरोसा किया है, वे आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए निर्णायक नहीं हैं.

महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (MACOCA) के तहत लंबे ट्रायल के बाद साल 2015 में विशेष अदालत ने पांच को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा और सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इस मामले में कमाल अंसारी, मोहम्मद फैसल अतुर रहमान शेख, एहतशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी, नवीद हुसैन खान और आसिफ खान को कोर्ट ने बम प्लांट करने का दोषी पाया था. कमाल अंसारी की साल 2021 में नागपुर जेल में कोविड-19 से मौत हो गई थी.

सात दोषी जिन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, उनमें तनवीर अहमद अंसारी, मोहम्मद माजिद शफी, शेख मोहम्मद अली आलम, मोहम्मद साजिद मरगुब अंसारी, मुजम्मिल अतुर रहमान शेख, सुहेल मेहमूद शेख और जमीर अहमद लतिफुर रहमान शेख शामिल हैं, लेकिन सोमवार को हाईकोर्ट ने सभी को बरी करने का आदेश दिया है.

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