1000 नई ट्रेनें चलाने वाला है रेलवे, अश्विणी वैष्णव ने कर दिया ऐलान
July 09, 2025
भारतीय रेलवे देश की अर्थव्यवस्था और लोगों की जीवनशैली का अभिन्न अंग है, लेकिन अब यह सिर्फ एक परिवहन के लिए नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उतरने की तैयारी का हिस्सा बन रही है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी. उनके मुताबिक आने वाले सालों में भारतीय रेलवे में जो क्रांतिकारी बदलाव होंगे, वे न केवल देश की लॉजिस्टिक्स क्षमता को कई गुना बढ़ाएंगे, बल्कि भारत को रेलवे निर्माण और निर्यात का ग्लोबल हब भी बनाएंगे. इन योजनाओं में 1,000 नई ट्रेनों का संचालन, बुलेट ट्रेन का व्यावसायिक शुभारंभ, सुरक्षा तकनीकों का उन्नयन, और मालवाहन में रेलवे की हिस्सेदारी को 35% तक ले जाने जैसी पहल शामिल हैं.
रेल मंत्री वैष्णव के अनुसार, रेलवे में निवेश 2014 में 25,000 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 2.52 लाख करोड़ रुपये हो गया है. इसमें निजी सार्वजनिक भागीदारी (PPP) के तहत 20,000 करोड़ रुपये का निवेश भी शामिल है. यह निवेश न केवल रेलवे ट्रैकों, कोचों और इंजन के निर्माण में सहायक रहा है, बल्कि सुरक्षा व संरचना इनोवेशन में भी क्रांतिकारी रहा है. भारत ने पिछले 11 वर्षों में 35,000 किलोमीटर ट्रैक जोड़े है, जो जर्मनी के संपूर्ण रेलवे नेटवर्क के बराबर है. अकेले पिछले साल 5,300 किलोमीटर ट्रैक जोड़े गए और प्रति वर्ष 30,000 वैगन समेत 1,500 लोकोमोटिव का निर्माण हो रहा है. यह उत्तरी अमेरिका और यूरोप के कुल उत्पादन से भी ज्यादा है.
बुलेट ट्रेन परियोजना भारत में उच्च गति की रेलवे का प्रवेश बिंदु है. यह परियोजना जापानी तकनीकी सहयोग से संचालित हो रही है और 2026 तक इसका पहला प्रोटोटाइप ट्रैक पर दौड़ेगा. 2027 में व्यावसायिक संचालन का लक्ष्य है. IIT मद्रास और IIT रुड़की इस परियोजना के डिजाइन और अनुसंधान में सहयोग कर रहे हैं. खास बात यह है कि बुलेट ट्रेन के लिए जरूरी 40 मीटर लंबे गर्डर जैसे जटिल कम्पोनेंट भी अब भारत में ही तैयार हो रहे हैं और कई देशों को निर्यात भी किए जा रहे हैं.
रेलवे मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि रेलवे न केवल सस्ता लॉजिस्टिक्स समाधान है, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी बेहद अनुकूल है. प्रति टन-किमी की दर से देखा जाए तो रेलवे की लागत सड़कों की तुलना में आधे से भी कम है और यह 95% तक पर्यावरण अनुकूल भी है. पिछले दशक में रेल की ओर से माल ढुलाई की हिस्सेदारी 26% से बढ़कर 29% हो चुकी है और अब इसे 35% तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है.
भारतीय रेलवे अब सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं, बल्कि यात्री अनुभव को केंद्र में रखते हुए भी बदलाव कर रहा है. पिछले दो वर्षों में 2,000 से अधिक जनरल कोच जोड़े गए हैं. साथ ही अमृत भारत और नमो भारत जैसी आधुनिक और आरामदायक ट्रेनें चलाई गई हैं. किराया भी अन्य दक्षिण एशियाई देशों जैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश से कम रखा गया है ताकि रेल यात्रा आम आदमी के लिए सुलभ बनी रहे. जहां पहले हर साल औसतन 170 पटरी से उतरने की घटनाएं होती थीं, वहीं अब यह संख्या घटकर 30 से भी कम हो गई है. कुल मिलाकर पिछले एक दशक में रेल दुर्घटनाओं में 80% की कमी आई है. यह सब उन्नत ट्रैक, सिग्नलिंग सिस्टम और दैनिक सुरक्षा समीक्षा के कारण संभव हो पाया है.