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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र-वायुसेना से महिला अधिकारी को सेवा मुक्त करने से रोका


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (16 जून) को केंद्र सरकार और भारतीय वायुसेना को निर्देश दिया कि वे उस महिला अधिकारी को सेवा से मुक्त न करें, जिसे स्थायी कमीशन देने से इनकार कर दिया गया था. जस्टिस उज्ज्ल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के 22 मई के आदेश का हवाला दिया, जिसमें विंग कमांडर निकिता पांडे की याचिका पर केंद्र और भारतीय वायुसेना को इसी प्रकार के निर्देश दिए गए थे और कहा था कि यही निर्देश विंग कमांडर कविता भाटी के मामले में भी लागू होंगे.

पक्षकारों के अधिकारों या अधिकारी के पक्ष में समानता के प्रति पूर्वाग्रह के बिना, पीठ ने कहा कि विंग कमांडर कविता भाटी को कार्यमुक्त नहीं किया जाना चाहिए और अगली सुनवाई तक उन्हें सेवा में बने रहने की अनुमति दी जानी चाहिए. शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी भाटी ने दावा किया कि उन्हें गलत तरीके से स्थायी कमीशन देने से मना कर दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह अगस्त को नियमित पीठ के समक्ष निर्धारित की है, जब भारतीय वायुसेना से संबंधित मामलों पर सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने 22 मई को केंद्र और भारतीय वायुसेना को पांडे को सेवा मुक्त करने से रोक दिया था, जो ऑपरेशन बालाकोट और ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा थीं, लेकिन उन्हें स्थायी कमीशन देने से इनकार कर दिया गया था.

निकिता पांडे ने आरोप लगाया कि उन्हें स्थायी कमीशन देने में भेदभाव किया गया. महिला अधिकारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि निकिता एक विशेषज्ञ लड़ाकू नियंत्रक हैं. उन्होंने एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (आईएसीसीएस) में एक विशेषज्ञ के रूप में भाग लिया था.

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