मुरादाबाद: किडनी कैंसर, जिसे रीनल सेल कार्सिनोमा (RCC) कहा जाता है, आज दुनियाभर में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनकर उभर रहा है। यह कैंसर किडनी के कार्यशील ऊतकों में शुरू होता है और समय पर इलाज न होने पर आसपास के अंगों तक फैल सकता है। आधुनिक इमेजिंग तकनीकों और बढ़ती जागरूकता के चलते अब इस बीमारी के मामलों की पहचान प्रारंभिक चरण में हो रही है, जिससे इलाज संभव हो पा रहा है और मरीजों की जीवन दर बेहतर हो रही है।
किडनी कैंसर के बढ़ने के पीछे कई कारण हैं—जैसे कि बदलती जीवनशैली, शारीरिक निष्क्रियता, खानपान में बदलाव, पर्यावरणीय प्रदूषण, बेहतर स्कैनिंग सुविधाएं और लोगों में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता का बढ़ना। इस वर्ष वर्ल्ड किडनी कैंसर डे की थीम है — "अपनी किडनी को प्यार दें", जिसका उद्देश्य है लोगों को अपनी किडनी के प्रति सजग बनाना।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नोएडा के यूरो-ऑन्कोलॉजी, रोबोटिक सर्जरी और एंडो यूरोलॉजी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. पंकज वाधवा ने बताया कि “कुछ प्रमुख जोखिम कारक हैं: धूम्रपान, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, दीर्घकालिक डायलिसिस पर रहना, कैंसर का पारिवारिक इतिहास और कुछ आनुवांशिक स्थितियाँ। किडनी कैंसर की शुरुआती अवस्था में आमतौर पर कोई लक्षण दिखाई नहीं देते और यह अक्सर किसी अन्य बीमारी की जांच के दौरान संयोगवश पता चलता है। लेकिन जैसे-जैसे ट्यूमर बढ़ता है, तो कुछ लक्षण सामने आ सकते हैं, जैसे—पेशाब में खून आना, कमर या पेट के एक ओर सूजन या गाँठ, पेट में भारीपन या लगातार हल्का दर्द, अचानक वजन कम होना, बार-बार बुखार आना, और सामान्य कमजोरी या थकावट महसूस होना। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।“
डॉ. पंकज ने आगे बताया कि “इलाज का चयन कैंसर की स्टेज और मरीज की सेहत पर निर्भर करता है। शुरुआती अवस्था में सर्जरी सबसे असरदार इलाज है — जिसमें या तो पूरी किडनी हटाई जाती है (रेडिकल नेफ्रेक्टॉमी) या सिर्फ ट्यूमर निकालकर किडनी को बचाया जाता है (पार्शियल नेफ्रेक्टॉमी)। अगर कैंसर फैल चुका हो तो टारगेटेड थेरेपी या इम्यूनोथेरेपी की मदद से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर कैंसर से लड़ाया जाता है। रेडिएशन और कीमोथेरेपी का उपयोग सीमित मामलों में ही होता है, क्योंकि RCC आमतौर पर इनसे अच्छी तरह जवाब नहीं देता।“
अगर कैंसर प्रारंभिक अवस्था में पकड़ में आ जाए, तो मरीज की पांच साल की जीवन दर 90-93% तक हो सकती है, लेकिन जैसे-जैसे स्टेज बढ़ती है, सफलता की संभावना कम होती जाती है। रोकथाम के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बेहद जरूरी है—संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, आदर्श वजन बनाए रखना, धूम्रपान और तंबाकू से दूरी, और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना प्रमुख उपाय हैं।
भारत में अब भी करीब एक-तिहाई मरीज पहली बार तब सामने आते हैं जब बीमारी अपने उन्नत चरण में पहुँच चुकी होती है। इसलिए हर साल पेट का अल्ट्रासाउंड करवाना और समय रहते लक्षणों की पहचान करना बेहद जरूरी है। समय पर पहचान और उचित इलाज से इस गंभीर बीमारी से उबरना संभव है।