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Sonebhadra: मीरा मोहन सी प्रीत लिख देना,,सब के अधरों पे गीत लिख देना: प्रद्युम्न त्रिपाठी।

कवियों ने एक से बढ़कर एक कविता सुनाकर वाहवाही लूटी।

सोनभद्र। शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र के तत्वावधान में रॉबर्ट्सगंज कचहरी परिसर स्थित सोनभद्र बार एसोसिएशन सभागार में शुक्रवार को काव्य संध्या का आयोजन किया गया। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कविराज रमाशंकर पांडेय विकल ने किया। मुख्य अतिथि रामनाथ शिवेन्द्र वरिष्ठ कथाकार रहे। संचालन अशोक तिवारी ने किया। वाणी वंदना दिवाकर दिवेदी मेघ ने किया और विधिवत् कार्यक्रम की शुरुआत हुई। 
प्रदुम्न त्रिपाठी एडवोकेट ने मीरा मोहन की प्रीत लिख देना, सबके अधरों पे गीत लिख देना, दिल में हो रुदन कहीं भी नहीं, साथ साजन हो जीत लिख देना सुनाकर वातावरण सृजित कर वाहवाही लूटी। प्रयागराज से पधारे शायर शारिक मखदूम फूलपुरी का अभिनंदन अंगवस्त्र, लेखनी, पुस्तक, प्रशस्ति पत्र देकर किया गया।

उनकी गजल, डूबा रहा गमों में किनारा नहीं मिला, मैं चाहता था जो वो सहारा नहीं मिला सुनाकर तालियां बजवाते रहे। ओज की कवयित्री कौशल्या कुमारी चौहान ने,, जयहिंद वंदेमातरम का जो करते सम्मान नहीं। वे भारत माता के दुश्मन उनका हिंदुस्तान नहीं सुनाकर राष्ट्रीयता को मुखर  स्वर दिया और लोगों में देशभक्ति की हुंकार भरी। 
दयानंद दयालू, दिलीप सिंह दीपक, सुधाकर स्वदेश प्रेम ने भी काव्य पाठ किया। वीर रस के कवि प्रभात सिंह चंदेल ने सुपूत पूत भारती के लहू से ललाट पर तिलक लगाते हैं सुनाकर शहीदों को नमन किया सराहे गये। धर्मेश चौहान ने जहाँ टीबी और बीवी शिर्षक से हास्य व्यंग्य सुनाकर तालियां बटोरीं वहीं उनकी देश भक्ति की रचना वतन पर होता जो कुरबान वहीं भगवान् मेरा है काफी सराही गई।  अशोक तिवारी ने, हाँ हमने तुझसे प्यार किया और क्या किया,,, वरिष्ठ शायर अब्दुल हई ने उधर से गुजरा तो झुक कर मिला हिमाला भी, सलीका प्यार का इसको सिखा दिया किसने सुनाकर महफ़िल लूट लिया। 
दिवाकर दिवेदी मेघ ने,, बरवा कटा के  कट कौवा, बीए  पढ़े लागल बा बेटौवा  सुनाकर खूब हंसाये।शाइर जुल्फेकार हैदर खान ने गजल सुनाकर तालियां बटोरीं।मुख्य अतिथि रामनाथ शिवेन्द्र ने कौमी एकता की रचना, हमें रोटियां ही दीजिये बहुत भूख लगी है ।दे रहे हैं गीता कुरान किसलिए सुनाकर समरसता की बात किया। नरेन्द्र कुमार पाठक ने वक्तव्य देकर देश की दिशा दशा पर चिंतन दिया। अंत में अध्यक्षता करते हुये सोनांचल साहित्यकार परिषद् प्रमुख कविराज रमाशंकर पांडेय विकल ने लोकभाषा व हिंदी खडी़ बोली की गंभीर कई रचनाओं का वाचन कर सबको आशीर्वाद शुभकामनाएं देते हुए आयोजन को विराम दिया। इस अवसर पर जयशंकर त्रिपाठी एडवोकेट, त्रिपुरारी मिश्रा, संदीप कुमार शुक्ल, ऋषभ ,ठाकुर कुशवाहा समेत कई लोग देर शाम भारी वारिश के बाद भी जमे रहे।

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