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वारंट है तो गिरफ्तारी के लिए अन्य आधारों को बताने की जरूरत नहीं-सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के नियम को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर वारंट मौजूद है तो गिरफ्तारी के लिए अन्य आधारों को बताने की जरूरत नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और आर महादेवन की पीठ ने एक मामले में अपील पर सुनवाई करते हुए ये फैसला दिया है। आइए जानते हैं कि अपने फैसले में कोर्ट ने क्या कुछ कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर किसी शख्स को वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया जाता है तो उस गिरफ्तारी का आधार वारंट ही होता है। अगर शख्स को गिरफ्तारी का वारंट पढ़कर सुनाया जाता है तो ये अपने आप उस जरूरत का पालन हो जाता है कि व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों के बारे में सूचना दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जाता है तो उसे ये जानकारी जरूर देनी चाहिए कि उसे क्यों गिरफ्तार किया गया है।

दरअसल, एक अपीलकर्ता ने अपने बेटे की कथित अवैध गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। अपीलकर्ता को इसे पहले ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट से झटका लगा था। अपीलकर्ता ने दावा किया था कि उसके बेटे की गिरफ्तारी में संविधान के अनुच्छेद 22(1) के अनिवार्य प्रावधान के अनुपालन का अभाव था। इसलिए ये गिरफ्तारी अवैध थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत गिरफ्तारी का आधार पेश करने की जरूरत तभी होती है जब गिरफ्तारी वारंट रहित होती है।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जब किसी शख्स की गिरफ्तारी वारंट के आधार पर होती है तो संविधान के अनुच्छेद 22(1) के अनुसार गिरफ्तारी के आधार को अलग से बताने की जरूरत नहीं है। गिरफ्तारी के लिए वारंट ही आधार होता है। वारंट को जोर से पढ़ देना ही गिरफ्तार होने वाले शख्स को कारण बताने के संवैधानिक दायित्व को पूरा कर देता है।

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