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अमेठीः शारदा सिंह के चार लाल कर रहे हैं सीमाओं की सुरक्षा


अमेठी। अमेठी तहसील के भादर गाँव का इतिहास वीरगाथाओं से भरा हुआ है। आजादी के बाद से भारतीय सेना को सबसे ज्यादा सैनिक देने वाले गाँवों में से एक गाँव यह भी है। यहाँ पर लगभग हर दूसरे घर से एक सैनिक सरहदों पर अपनी सेवा दे रहा है। इस गाँव को सैनिकों का गाँव कहा जाता है। इस गाँव से वर्तमान समय में लगभग 150 लड़के भारतीय सेना में शामिल हैं। अगर सीआरपीएफ, पुलिस आदि सेवाओं में भी सम्मिलित युवाओं की संख्या जोड़ी जाए, तो यह आंकड़ा 300 के पार पहुँच जाता है। इस गाँव के लोग अन्य किसी क्षेत्र में जाने की बजाय सेना में भर्ती होने को अधिक तवज्जो देते हैं। गाँव के सैकड़ों लड़के सुबह-शाम एक साथ ऑर्मी भर्ती की तैयारियों में लगे रहते हैं।  इसी गाँव के शारदा सिंह के चार पुत्र भारतीय सेना में भर्ती हैं। उनके दो पुत्र सिपाही राम सिंह और सिपाही कृष्ण प्रताप सिंह इस समय जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान के बॉर्डर पर तैनात हैं। वहीं दो अन्य पुत्र नायब सूबेदार संजय कुमार सिंह और हवलदार सूर्य भान सिंह उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा पर तैनात हैं। उन्होंने बताया कि मुझे गर्व है कि मेरे बेटे भारत माता की सेवा में तैनात हैं। वहीं पर कृष्ण प्रताप सिंह नगरोटा में तैनात हैं। उनकी पत्नी ने बताया कि कऑल पर बात नहीं हो पा रही है। कल मैसेज पर उन्होंने बताया था कि हालात अब सुधर गए हैं। गाँव के ही राधेश्याम तिवारी ने बताया कि हमारे गाँव के कई वीर कारगिल युद्ध के समय भी सेना में सम्मिलित थे। उन्होंने बताया कि आज तक का इतिहास है भादर का कोई लाल दुश्मन की गोली से कभी शहीद नहीं हुआ है। सैनिकों के अभिभावकों का कहना है कि जंग कोई नहीं चाहता है परंतु इस तरह बार-बार अपने सैनिकों को खोने के बाद संघर्ष विराम उचित नहीं है। अब आर-पार की जंग हो जानी चाहिए।ऑर्मी भर्ती की तैयारी में जुटे लड़कों ने बताया कि वह सभी पूरी तरह तैयार बैठे हैं कि कब भारत सरकार का बुलावा आ जाए और उनको सरहद पर लड़ने भेजा जाए।

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