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बाराबंकी : चूल्हे की चिंगारी ने छीन ली तीन जानें, जिंदा जले मासूम और मां, जिंदगी की जंग में जूझ रहे पिता-पुत्र


मसौली/बाराबंकी। एक गरीब परिवार की झोपड़ी में सोमवार शाम ऐसा मातम पसरा कि गांव ही नहीं, पूरे इलाके की रूह कांप उठी। जबरपुरवा गांव में फटे गैस सिलेंडर से लगी आग ने एक मां और उसकी दो मासूम बेटियों को जिंदा निगल लिया। फूस की कच्ची झोपड़ी में जलती चूल्हे की लौ अचानक तबाही में बदल गई।

रिंकी ( उम्र 32 वर्ष) खाना पका रही थी, और पास में खेल रहीं उसकी बेटियां शिवानी ( उम्र 8 वर्ष) और नन्ही महक (9 माह) इस बात से बेखबर थीं कि जिंदगी की डोर कुछ ही पलों की मेहमान है। आग ने ऐसा कहर ढाया कि तीनों संभलने का मौका तक न पा सकीं। देखते ही देखते मां-बेटियों की चीखें लपटों में गुम हो गईं।

पत्नी और बच्चों की चीख सुनकर दौड़ा राजमल ( उम्र 37 वर्ष ) जान की परवाह किए बिना झोंपड़ी में घुसा और किसी तरह 3 साल के बेटे अनमोल को बाहर निकाल लाया। लेकिन खुद गंभीर रूप से झुलस गया। बेटे की हालत भी नाजुक है। दोनों जिला अस्पताल में जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं।

पूरा गांव सदमे में है। हर आंख नम, हर दिल बेचैन। एक छोटी सी चूक ने एक घर को राख कर दिया, और परिवार की हँसी को हमेशा के लिए खामोश। गरीबी की आग से जूझते इस परिवार को चूल्हे की आग ने लील लिया। अब गांव सिर्फ राख के ढेर पर खड़ा एक अधूरा सपना देख रहा है।

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