Type Here to Get Search Results !
BREAKING NEWS

Sonebhadra: डेंजर ज़ोन में तब्दील खदानें, फिर भी धड़ल्ले से खनन किसके सह पर।

सोनभद्र में सवालों के घेरे में प्रशासन और खनन माफिया।

सोनभद्र। क्या सोनभद्र की खदानें मौत का गड्ढा बन चुकी हैं? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कृष्ण माइंस में सात मजदूरों की दर्दनाक मौत के बाद भी खनन क्षेत्र में हालात जस के तस बने हुए हैं। ओबरा क्षेत्र की खदानों में नियम-कानून को ताक पर रखकर खनन कराए जाने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई प्रशासनिक दावों की पोल खोल रही है। सूत्रों के मुताबिक, नियमों की खुली अवहेलना के चलते अब तक 37 खदानों को बंद किया जा चुका है। इसके बावजूद कई खदानों में चोरी-छिपे या दबाव के दम पर गतिविधियां जारी हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि खदान मालिकों ने अपनी अवैध गतिविधियों को छिपाने के लिए चारों ओर अवैध बैरिकेडिंग कर दी है, ताकि कोई बाहरी व्यक्ति या मीडियाकर्मी अंदर झांक तक न सके और वीडियो या फोटो न बना पाए। खनन सुरक्षा के लिए बनाए गए डीजीएमएस (DGMS) के अनिवार्य सुरक्षा मानकों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। नतीजा यह है कि कई खदानें आधिकारिक तौर पर ‘डेंजर ज़ोन’ घोषित हो चुकी हैं। इसके बावजूद खनन कार्य जारी रहना इस बात की गवाही देता है कि मजदूरों की जान की कीमत मुनाफे के आगे शून्य कर दी गई है। किसी भी वक्त एक और बड़ा हादसा होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। जांच से बौखलाए खदान मालिक लगातार हो रहे खुलासों, खबरों के प्रकाशन और शासन-प्रशासन की सख्ती से खनन माफिया बुरी तरह बौखलाया हुआ है। सूत्र बताते हैं कि खदान मालिक अपनी अवैध गतिविधियों के उजागर होने के लिए सीधे तौर पर पत्रकारों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। डर और दबाव का माहौल बनाने की कोशिशें भी हो रही हैं, ताकि सच्चाई सामने न आ सके। जब खदानें डेंजर ज़ोन घोषित हैं, तो खनन की अनुमति कैसे? अवैध बैरिकेडिंग पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं? क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है? सोनभद्र की खदानों में आज हालात साफ इशारा कर रहे हैं या तो नियम लागू होंगे, या फिर हादसों की गिनती बढ़ती जाएगी।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Design by - Blogger Templates |