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बाराबंकी: पुत्र और पुत्री में भेद देखने वाले का होता है पतन- शशिकांत महाराज


मसौली /बाराबंकी । मसौली बाजार में आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन कथा व्यास शशिकांत महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक मूल्यों का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि घर में बेटे का जन्म हो या बेटी का, दोनों के प्रति समान भाव रखना चाहिए। समाज में प्रायः देखा जाता है कि बेटे के जन्म पर उत्सव मनाया जाता है, जबकि बेटी के जन्म पर लोग दुखी हो जाते हैं, जो उचित नहीं है। बेटियां किसी भी प्रकार से बेटों से कम नहीं हैं।

कथा व्यास ने कहा कि बेटा एक कुल का उद्धार करता है, जबकि बेटी दो कुलों का उद्धार करती है, इसलिए बेटा और बेटी में कभी भेदभाव नहीं करना चाहिए। उन्होंने दक्ष यज्ञ की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि जब दक्ष को अहंकार हुआ तो भगवान शंकर ने वीरभद्र के माध्यम से यज्ञ का विध्वंस कराया और बाद में बकरे का सिर लगाकर दक्ष को जीवनदान दिया। इससे यह संदेश मिलता है कि अहंकार और अपमान भगवान को प्रिय नहीं है।शशिकांत महाराज ने कहा कि जब-जब जीव में अहंकार आता है, तब-तब भगवान कोई न कोई विधान बनाकर उसके अहंकार को अवश्य तोड़ते हैं। सती और भगवान राम की कथा का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि सती ने भगवान राम पर संशय कर उनकी परीक्षा लेने का प्रयास किया, जबकि भगवान परीक्षा के नहीं, बल्कि प्रतीक्षा के विषय हैं। जब भक्त सच्चे मन से भगवान की प्रतीक्षा करता है, तो भगवान एक दिन अवश्य दर्शन देते हैं।कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। इस अवसर पर कथा आयोजक लल्लू राम जायसवाल, राधा देवी जायसवाल, गौरव श्रीवास्तव, अरविन्द मौर्या, राजेश मौर्या, दीक्षा श्रीवास्तव, बबीता जायसवाल, सीतू जायसवाल सहित अनेक भक्तगण मौजूद रहे।

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