बाराबंकी । जिले में अवैध खनन का गोरखधंधा खुलेआम फल-फूल रहा है। खनन कारोबारी नियम-कानून को ताक पर रखकर सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का चूना लगा रहे हैं। किसानों के नाम पर निजी परमिशन की आड़ में मिट्टी का अवैध खनन कर मोटा मुनाफा कमाया जा रहा है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी आंखें बन्द किये बैठे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारियों की चुप्पी नहीं, बल्कि मिलीभगत के चलते यह अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है।मामला घूंघटेर थाना क्षेत्र के ग्राम रेगांव पुल, बजगहनी, बारूह और हाजीपुर का है, जहां महिंद्रा पावरट्रक और ट्रैक्टर-ट्रॉली के जरिए निजी व सरकारी जमीनों से खुलेआम मिट्टी खोदी जा रही है और बेची जा रही है। ग्रामीणों के मुताबिक पिछले दो महीनों से यह अवैध खनन दिन-रात बिना किसी रोक-टोक के चल रहा है।अवैध खनन से उड़ती धूल ग्रामीणों और राहगीरों के लिए मुसीबत बन गई है। सांस लेने में दिक्कत हो रही है और गांव के बीच से गुजरने वाली मिट्टी लदी ट्रॉलियों के कारण आवागमन बाधित हो रहा है। ग्रामीण पंकज लोधी, मुकेश कुमार, संजय रावत और मोहम्मद असलम खान ने बताया कि कई बार पुलिस और खनन विभाग से शिकायत की गई, लेकिन हर बार पुलिस मौके पर पहुंचकर औपचारिकता निभा कर लौट जाती है, कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
मिट्टी लदी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर न तो रॉयल्टी पर्ची होती है और न ही नंबर प्लेट। चालकों से पूछने पर वे बेखौफ कहते हैं कि “रॉयल्टी नहीं लगती, सबके सहयोग से काम चल रहा है।” नंबर प्लेट के सवाल पर जवाब मिलता है कि पुलिस कभी पूछती ही नहीं। इससे परिवहन विभाग की घोर लापरवाही और संदिग्ध भूमिका साफ झलकती है।
अवैध खनन से पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। जमीन का संतुलन बिगड़ रहा है, धूल और प्रदूषण बढ़ रहा है, लेकिन मुनाफे के लालच में पर्यावरण को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है। इसका खामियाजा आज नहीं तो कल पूरे क्षेत्र को भुगतना पड़ेगा।
प्रशासनिक मिलीभगत या मजबूरी?सरकार ने अवैध खनन रोकने के लिए सख्त कानून बना रखे हैं, लेकिन राजनीतिक संरक्षण और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत के चलते नियम कागजों तक ही सीमित नजर आते हैं। सवाल यह है कि जब सब कुछ खुलेआम चल रहा है तो जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई से क्यों बच रहे हैं?
क्या बोले जिम्मेदार -मामले में खनन अधिकारी शैलेंद्र मौर्य का कहना है कि ग्रामीणों की ओर से कोई शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने यह जरूर कहा कि एसडीएम फतेहपुर को जांच कर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया जा रहा है। अब देखना यह है कि जांच केवल कागजों तक सीमित रहती है या अवैध खनन पर वास्तव में लगाम लगती है।
