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संग्रामपुर: आखिर कौन सुने किसानो का दुखदर्द! नहीं मिल रही राहत


चंचल तिवारी

संग्रामपुर/अमेठी। जमीन पर किसान कितना परेशान है यहां आकर आज जब किसी सरकारी नुमाइंदे से नहीं देखा है। इस वक्त जिले की सबसे बड़ी समस्या नीलगाय बनी हुई है जो खेतों में खड़ी फसलों को अपने पैरों तले रौंदते हुए दिखाई दे रही है। इन दिनों  संग्रामपुर क्षेत्र के किसानों  को नीलगाय के आतंक से जूझना पड़ रहा है झुंडों में आकर नीलगाय फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ठंड के कारण किसान रखवाली करने में परेशान हो रहे हैं। घने  कोहरे का लाभ नील गाय उठाकर फसलों को रौंद दे रहे हैं। आज किसानों को सबसे अधिक चोट पहुंचा रहा है तो वह नीलगाय  है । इन पर किसानों का कोई नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। नीलगाय गेहूं लहसुन की नर्सरी से लेकर सब्जी व अन्य फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं किसानों के लिए फसल बचाना मुश्किल हो गया है। 40 से 50 नीलगाय एक साथ खेतों में प्रवेश करते हैं फसल को चरते हैं और अपने पैरों के तले रौंद भी देते हैं। नीलगाय के तांडव से मुक्ति के लिए किसानों ने जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों को कई बार समस्या बताई है लेकिन किसानों को राहत पहुंचाने की दिशा में आज तक कोई पहल नहीं किया गया । प्रशासनिक स्तर पर इस तरह की रवैया से किसानों को काफी आक्रोश व्याप्त है नीलगायों से त्रस्त किसान बताते हैं कि  हम लोग नीलगाय को भगा देते हैं अगले दिन वह पुनः लौट आते हैं। नीलगायों का आतंक दिनों दिन बढ़ता जा रहा है ज्यादातर गांव में दर्जनों नीलगाय का झुंड टहलता रहता है। मजबूर किसान खेतों में बांस -बल्ली के सहारे मचाना(झोपड़ी) बनाकर रह रहे हैं रात भर आवाज करते रहते हैं टॉर्च मारते रहते हैं फिर भी उन्हें राहत नहीं मिल पा रही है। खेतों को चारों तरफ सुरक्षा व्यवस्था में बांस बल्ली बंधी हुई है फिर भी नीलगाय कूद कर खेतों की फसल को चट जा रहे हैं। जिसके कारण टूटते जा रहे हैं। संग्रामपुर क्षेत्र के ग्राम सभा पुन्नपुर में दर्जनों किसानों ने मचाना बनाकर कड़ाके की ठंड में खेतों में रहने को मजबूर हैं लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल पा रही है। यही स्थिति क्षेत्र के धोएं, मधुपुर खदरी, भावलपुर, बड़गांव, कंसापुर, शुकुलपुर आदि गांव के किसान मचाना बनाकर पूरे परिवार को छोड़कर जान जोखिम में डालकर इस कड़ाके की ठंडी में खेतों की रखवाली कर रहे हैं। उनका कहना है अपने मन में संतोष रखने के लिए परिवार को पालने के लिए परिवार के भोजन व्यवस्था के लिए हम नीलगाय से अपनी खेतों की फसल बचाने के लिए मचाना बना के रह रहे हैं। किसानों के लिए आज नीलगाय बहुत बड़ी परेशानी बन गई है इनकी वजह से किसान हर दिन काफी नुकसान झेल रहा है इस समस्या को लेकर जन प्रतिनिधि राज्यसभा लोकसभा विधानसभा का कोई भी कठोर नियम आज तक नहीं बना सके हैं यदि समय रहते इनका हल नहीं निकल गया तो किसानों का खेती करना दुश्वार हो जाएगा। किसानों के लिए खेती के अलावा कोई अन्य आय का स्रोत भी नहीं है और यह नीलगाय किसानों के लिए मुसीबत बनकर आए हैं।

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