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बाराबंकी: बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने अधिवक्ता के साथ मारपीट को लेकर एसपी से की मुलाकात! थाने में बुलाकर मारपीट व अवैध हिरासत का आरोप


बाराबंकी । जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र वर्मा   व उनके साथ एक प्रतिनिधि मंडल ने एसपी से मुलाकात कर थाना सफदरगंज क्षेत्र से पुलिस कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए  हैं । उन्होंने एसपी से मुलाकात कर सफदरगंज में तैनात एसएचओ अमित चैरसिया पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग की है।बार अध्यक्ष का आरोप है कि ग्राम बीरबल पुरवा, मजरे बघौरा सलन, थाना सफदरगंज निवासी चंद्रेश कुमार जो कि पेशे से अधिवक्ता है  उनके साथ थाने में मारपीट, व अवैध रूप से लॉकअप में बंद उनका पुलिस द्वारा मानसिक उत्पीड़न किया गया है। उन्होंने कहा पीड़ित अधिवक्ता न्यायालय में बतौर जूनियर अधिवक्ता प्रैक्टिस करता है, उन्होंने  एसपी को बताया कि थाना सफदरगंज में तैनात एसएचओ अमित चैरसिया ने फोन कर उसे थाने बुलाया। थाने पहुंचने पर वहां कुछ दलाल किस्म के लोग पहले से मौजूद थे, जिन्होंने जबरन दबाव बनाते हुए उसकी पत्नी को छोड़ने और कथित लेन-देन का हिसाब करने की बात कही जब उसने किसी भी प्रकार के लेन-देन से इंकार किया तो एसएचओ द्वारा उसके साथ अभद्र व्यवहार करते हुए दो थप्पड़ मारे गए। इसके बाद उसे शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित कर बिना किसी आरोप के कड़ाके की ठंड में कपड़े उतरवाकर लॉकअप में बंद कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अधिवक्ता चंद्रेश  पूरी रात ठंड में लाकअप में  बन्द  रहा जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई, सांस लेने में दिक्कत होने लगी, लेकिन बार-बार कहने के बावजूद उसकी बात नहीं सुनी गई। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र वर्मा ने पीड़ित अधिवक्ता के साथ  एसपी से मिलकर यह भी आरोप लगाया कि थाना प्रभारी द्वारा धमकी दी गई कि अगर उसने मुंह खोला या शिकायत की तो उसे फर्जी मुकदमे में फंसा दिया जाएगा। इतना ही नहीं, अध्यक्ष व महामंत्री से भी निपट लेने की धमकी दी गई। बताया गया कि उसे रात करीब साढ़े  आठ बजे तक लॉकअप में बंद रखा गया। एसोसिएशन के अध्यक्ष व प्रतिनिधि मंडल ने पीड़ित के साथ  एसपी से मिलकर  पूरे मामले को गंभीर बताते हुए रिपोर्ट दर्ज कराकर निष्पक्ष जांच एवं न्याय दिलाने की मांग की है। मामले ने न सिर्फ आम नागरिकों बल्कि अधिवक्ता समाज में भी आक्रोश पैदा कर दिया है। अब सबकी निगाहें पुलिस प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं कि आरोपों पर क्या कदम उठाया जाता है।

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