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प्रतापगढः जीवन को सही दिशा देने वाले मूलभूत सिद्धांत ही वास्तविक धर्म हैं-डॉ एनपी सिंह


प्रतापगढ़। भारतीय शिक्षा बोर्ड (ठैठ)  जनपद प्रतापगढ़ की महत्वपूर्ण बैठक जनपद के तुलसी सदन हादीहाल में आयोजित हुई जिसमें जिले के अनेक विद्यालयों के प्रबंधक, प्रधानाचार्य एवं प्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। दीप प्रज्ज्वलन से प्रारम्भ हुई बैठक को बिना किसी औपचारिकता के सीधे संबोधित करते हुए भारतीय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. एन. पी. सिंह ने कहा कि बोर्ड का उद्देश्य भारतीय शिक्षा व्यवस्था को भारतीय ज्ञानदृपरंपरा के अनुरूप सुदृढ़ करते हुए नई शिक्षा नीति के सिद्धांतों को प्रभावी रूप से लागू करना है। उन्होंने कहा कि जीवन को सही दिशा देने वाले मूलभूत सिद्धांत ही वास्तविक धर्म हैं। आधुनिक भौतिकवादी दृष्टिकोण ने समाज को अपने मूल पथ से दूर किया है, इसलिए भारतीय दृष्टि पर आधारित शिक्षा को समय की आवश्यकता बताया गया। शिक्षा के साथदृसाथ आध्यात्मिक चिंतन और आत्मिक विकास को भी समान रूप से महत्व देने की बात कही गई।

डॉ. सिंह ने बताया कि भारत की ज्ञानदृपरंपरा विश्व की सबसे प्राचीन, वैज्ञानिक और शोधपरक परंपरा रही है, जिसे 1835 के बाद लागू विदेशी शिक्षा मॉडल ने क्षति पहुँचाई।भारतीय शिक्षा बोर्ड इसी परंपरा के पुनर्जीवन और नई पीढ़ी को भारतीय ज्ञानदृविचार से जोड़ने के मिशन पर कार्य कर रहा है।इसके साथ ही उन्होंने प्रकृति संरक्षण को भावी पीढ़ियों के लिए सर्वोत्तम उपहार बताते हुए कहा कि प्रकृति केवल वातावरण का विषय नहीं, बल्कि जीवन का विज्ञान है, जिसके व्यावहारिक समाधान शिक्षा के माध्यम से ही संभव हैं।बैठक में यह भी कहा गया कि बच्चा चाहे किसी भी विषय का अध्ययन करे, उसके भीतर ‘भारतीयता’ का भाव अवश्य होना चाहिए। शिक्षा भारतीय संस्कृति, मूल्य, परंपरा और जीवनदृदर्शन के अनुरूप होकृइसी दिशा में ठैठ संकल्पित है। 150 करोड़ भारतीयों के मानस में भारतीय ज्ञानदृपरंपरा का बीज रोपने को बोर्ड आवश्यक मानता है।विश्व के अनेक वैज्ञानिक इस तथ्य को स्वीकार कर चुके हैं कि ज्ञान का भविष्य भारत में है और भारतीय मूल ज्ञान ही पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर सकता है। इसलिए आज भारत को शिक्षा की अपनी मूल दिशा को और मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि समाज और राष्ट्र का समग्र मार्गदर्शन हो सके।कार्यक्रम में बच्चों के नैतिक, संस्कारयुक्त और चरित्रदृआधारित निर्माण पर भी विशेष जोर दिया गया। यह बताया गया कि नैतिकता का बीज बच्चे के जीवन के प्रारंभिक चरण में ही बोया जाना चाहिए, और विद्यालय इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता दुर्गेश योगी ने की तथा संचालन राजन विश्वकर्मा द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य रूप सेकृबृज मोहन (समन्वयक, यू.पी. पूर्व), गोविंद (कार्यक्रम समन्वयक), भूपेंद्र, धर्मेंद्र, प्रवीण, धीरज, विवेक, प्रतीक खंडेलवाल, अमित शुक्ल सहित जिले के सैकड़ों विद्यालय प्रबंधक एवं प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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