प्रतापगढ़। जिले में जिला कृषि अधिकारी अशोक कुमार ने मंगलवार को जनपद के सभी किसान भाइयों को सूचित किया कि वर्तमान रबी सीजन में गेहूं की फसल की उन्नत पैदावार एवं गुणवत्ता के लिए वैज्ञानिक सिंचाई प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। उचित समय एवं उचित विधि से सिंचाई करके न केवल पानी का संरक्षण किया जा सकता है, बल्कि उत्पादन लागत कम करते हुए उपज में 10-15 प्रतिशत वृद्धि भी की जा सकती है। उन्होने बताया है कि यदि केवल 2 सिंचाई उपलब्ध हो तो जल संसाधन सीमित होने पर गेहूॅ में दो अत्यन्त महत्वपूर्ण अवस्थाओं पर सिंचाई अवश्य करें, पहली सिंचाई (कलाई अवस्थाध्ताजमूल अवस्था) बुआई के लगभग 20-25 दिन बाद, दूसरी सिंचाई (बालियॉ निकलने की अवस्था) बुवाई के लगभग 65-70 दिन बाद इन दोनो अवस्थाओं पर सिंचाई देने से फसल की बुनियादी वृद्धि एव ंदाने भरने की क्षमता सुरक्षित रहती है।
उन्होने बताया है कि यदि 3 सिंचाई उपलब्ध हो तो पहली सिंचाई (कलाई अवस्थाध्ताजमूल अवस्था) 20-25 दिन बाद, दूसरी सिंचाई (गाँठ बनने की अवस्था) लगभग 45-50 दिन बाद, तीसरी सिंचाई (बालियाँ निकलनेध्फूल आने की अवस्था) 65-70 दिन बाद यह क्रम फसल की बढ़वार तथा दाने के विकास दोनों को अधिकतम समर्थन देता है। उन्होने बताया है कि यदि 4 सिंचाई उपलब्ध हों तो पहली सिंचाई (कलाई अवस्थाध्ताजमूल अवस्था) 20-25 दिन बाद, दूसरी सिंचाई (गाँठ बनने की अवस्था) 45-50 दिन बाद, तीसरी सिंचाई (बालियाँ निकलनेध्फूल आने की अवस्था) 65-70 दिन बाद तथा चैथी सिंचाई (दुग्धावस्था) 85-90 दिन बाद, इस क्रम से सिंचाई करने पर दानों का वजन बढ़ता है और उपज में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। यदि सिंचाई के निर्धारित समय से पहले या बाद में लगभग 15-20 मिमी या अधिक वर्षा हो जाए, तो उस चरण की सिंचाई टाल दें या कम कर दें।
उन्होने कृषक भाइयों से अपील करते हुये कहा है कि गेहूँ की फसल में पहली सिंचाई (पहला पानी) अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, केवल एक सिंचाई उपलब्ध होने पर उसे कलाई अवस्थाध् ताजमूल अवस्था अर्थात बुवाई के 20-25 दिन बाद अवश्य दें। इस अवस्था पर सिंचाई करने से पौधों में जड़ों का विकास अच्छा होता है, जिससे फसल की वृद्धि तथा अंतिम उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। गेहूं फसल की स्थिति को ध्यान में रखते हुए पहली सिंचाई हल्की करें और आवश्यकता से अधिक पानी बिल्कुल न दें, सिंचाई क्षमता के अनुसार उपरोक्त सिफारिशों पर अमल करें। सीमित पानी में भी “सही समय, सही जगह“ का सिद्धांत अपनाकर अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
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