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बाराबंकीः अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारतीय ज्ञान परंपरा पर मंथन


बाराबंकी। हिंदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज, अर्थशास्त्र विभाग जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल पीजी कॉलेज,  एवं प्रज्ञाप्रवाह के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन शोधार्थियों ने ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से अपने शोधपत्रों का वाचन किया।प्रथम तकनीकी सत्र में लद्दाख विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा ने प्राचीन भारत के क्षेत्र-विस्तार, ज्ञान परंपरा और संस्कृति पर व्याख्यान देते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान-विज्ञान को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाया जाना चाहिए। प्रो. मंजुला उपाध्याय ने भी अपने विचार रखे। सत्र का संचालन प्रो. मनीष पांडेय तथा आभार प्रदर्शन प्रो. सुनीता यादव ने किया।समांतर सत्र का संचालन डॉ. अरविंद पांडेय ने किया तथा आभार डॉ. नीलमप्रभा ने व्यक्त किया। इसमें शोधार्थियों ने अपने-अपने शोध विषयों के निष्कर्ष साझा किए।समापन सत्र में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा केवल भारत ही नहीं, पूरे विश्व के लिए वरदान है। प्रज्ञाप्रवाह की अखिल भारतीय टोली के सदस्य श्री रामाशीष ने कहा कि स्वदेशी ज्ञान प्रणाली ही भारत की विविध समस्याओं का सार्थक समाधान प्रस्तुत करती है। प्रतिवेदन वाचन प्रो. विजय वर्मा ने किया, जबकि यू.पी. लोक सेवा आयोग, प्रयागराज के सदस्य श्री हरेश प्रताप सिंह ने मुख्य वक्ता के रूप में छात्र-छात्राओं को संबोधित कर प्रेरित किया।संगोष्ठी की संयोजिका डॉ. अर्चना सिंह ने सभी अतिथियों, विद्वानों, शोधार्थियों व सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया। अंत में प्राचार्य प्रो. डॉ. सीताराम सिंह ने सफल आयोजन के लिए आयोजकों, व्याख्याताओं, शोधार्थियों, पत्रकार बंधुओं और सभी सहयोगियों की सराहना की।

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