बाराबंकी। हम केवल भवन नहीं बना रहे, बल्कि न्याय के मार्ग को उज्ज्वल और सुगम बना रहे हैं। न्यायालय सिर्फ दीवारें और कमरे नहीं, बल्कि जन-आस्था, विश्वास और उम्मीद का केंद्र होता है।यह बातें बुधवार को जिला दीवानी न्यायालय में रिकॉर्ड रूम और 13 न्यायालय भवनों के लोकार्पण अवसर पर मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली ने भावुक स्वर में कही। बुधवार को जिला न्यायालय परिसर एक भावुक और स्वर्णिम अध्याय बनकर दर्ज हो गया। न्याय के गलियारों में सिर्फ ईंटदृपत्थर के नए भवन नहीं बने, बल्कि न्याय पर आमजन के भरोसे को नया आकार मिला, नई ऊर्जा मिली। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने नवनिर्मित रिकॉर्ड रूम व 13 कोर्ट बिल्डिंग का लोकार्पण कर न्याय की आधुनिक और सशक्त संरचना का शुभारंभ किया।कार्यक्रम में न्यायमूर्ति मनीष कुमार (लखनऊ पीठ एवं प्रशासनिक न्यायाधीश, बाराबंकी), रजिस्ट्रार जनरल मनजीत सिंह शेओरण, वरिष्ठ रजिस्ट्रार राकेश त्रिपाठी, प्रमुख सचिव (विधि) दिनेश सिंह, जनपद न्यायाधीश प्रतिमा श्रीवास्तव, पीओ एमएसीटी अल्पना सक्सैना, प्रिंसिपल जज फैमिली कोर्ट वंदना सिंह समेत सभी न्यायिक अधिकारी, बार एसोसिएशन पदाधिकारी, पुलिस प्रशासन और बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे। दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई और अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ व जीवित पौधे भेंट कर किया गया जो न्याय और पर्यावरण, दोनों के प्रति संवेदनशील दृष्टि का प्रतीक रहा।न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने कहा कि नये 13 न्यायालय भवन बढ़ते वादभार को संभालने में सक्षम होंगे, आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण होंगे और न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी व समयबद्ध बनाने में सहायक बनेंगे। नए रिकॉर्ड रूम को उन्होंने “न्यायिक धरोहर का संरक्षक” बताते हुए कहा कि यह सुरक्षित, व्यवस्थित और डिजिटलीकरण की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किया गया है, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए न्यायिक अभिलेख सुव्यवस्थित स्वरूप में संरक्षित रहेंगे।इस मौके पर जिला न्यायाधीश प्रतिमा श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि यह लोकार्पण मात्र एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि न्याय को अधिक सशक्त, पारदर्शी और मानव-केंद्रित बनाने का सशक्त संकल्प है। उन्होंने कहा कि नए भवनों के साथ न्यायालय की क्षमता ही नहीं बढ़ी, बल्कि पीड़ित, वादी और अधिवक्ता ,हर उस व्यक्ति की उम्मीद मजबूत हुई है जो रोज न्यायालय की सीढ़ियां चढ़कर न्याय की आस लेकर आता है।न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने कहा कि बाराबंकी न्यायालय की प्रगति अधिवक्ताओं, न्यायिक अधिकारियों और न्यायालय कर्मियों की निष्ठा का परिणाम है। नए न्यायालय भवन न्यायिक सेवा को गति, सरलता और सम्मानजनक कार्य परिवेश प्रदान करेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इन आधुनिक संरचनाओं के साथ न्यायिक कामकाज और अधिक दक्ष, सहज और आमजन के अनुकूल होगा।
कार्यक्रम के दौरान अतिथियों ने न्यायिक ढांचे को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई। अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। न्यायालय परिसर में एक उत्साह, गर्व और भावनात्मक जुड़ाव का वातावरण महसूस हुआकृमानो इमारतों के साथ-साथ न्याय व्यवस्था का मनोबल भी ऊँचा उठ गया हो।कार्यक्रम के अंत में एडीजे- विनय कुमार सिंह ने सभी अतिथियों, अधिवक्ताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और न्यायालय परिवार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सभी के सहयोग और विश्वास से न्यायालय न्याय के पथ पर और अधिक दृढ़ता से आगे बढ़ता रहेगा।
राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। मंच संचालन एसीजीएम प्राची अग्रवाल और श्रद्धा लाल ने किया।
इस ऐतिहासिक अवसर ने बाराबंकी दीवानी न्यायालय को सिर्फ नए भवन नहीं दिए, बल्कि न्याय की नई उम्मीद, नई रफ्तार और नई रोशनी भी दी , जो आने वाले वर्षों तक न्याय की हर खोज में साथ चलती महसूस होगी।
