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संग्रामपुर: सूप पीटकर महिलाए बोली, ईश्वर आवे दरिद्र जाय


संग्रामपुर/अमेठी। पुरानी परम्पराओं पर आधारित प्रबोधिनी एकादशी पर ब्रह्म मुहूर्त में घर की महिलाएं सूप को गन्ने की गेंड़ से पीटती हुई घर के सभी कमरे ,स्नान घर, शयनकक्ष, अतिथि कक्ष रसोईघर ऊपर - नीचे बिजली के प्रकाश में खूब जोर -जोर से पीट कर घर में दरिद्र के भगाया गया। संग्रामपुर क्षेत्र के हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण परम्परा वर्षों से चली आ रही आज भी मनाई जाती है। रविवार की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में 4 से 5 बजे सूप के चिल्लाने की आवाज  गांव के प्रत्येक घरों में सुनाई दिया।इस आवाज से छोटे - बड़े बुजुर्ग सभी उठ गये और अपने कार्य में जुट गये। संग्रामपुर क्षेत्र के पंडित हरि कृष्ण पांडेय ने बताया कि दीपावली पर्व के बाद प्रबोधिनी एकादशी का विशेष आध्यात्मिक महात्म्य है।यह दिन पूजा - अर्चना के लिए विशेष माना जाता है। भगवान श्रीहरि चार माह के शयन के बाद जगते हैं।इसके अलावा भी कई आध्यात्मिक कथाओं के साथ कुछ परम्परा जुड़ी हुई है। इन्हीं परम्पराओं में एक है दरिद्र खदेड़ने वाली परम्परा जिसमें पुराने सूप को हरे गन्ने की गेंड़ पीटती हुई घर के कोने-कोने तक आवाज पहुंचाने के लिए घर के प्रत्येक कमरे में जाती है।इसके बाद सूप और गन्ने को घर से दूर फेंक कर पुनः घर में हाथ - पैर धुलाकर ही प्रवेश करती है। इस परम्परा की मान्यता है कि घर कि दरिद्र भाग है और भगवान श्रीहरि का आशिर्वाद मिला है।

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