शाहबाद: गिरा पर्स पाकर छात्रा की आंखों में आए खुशी के आंसू
November 24, 2025
शाहबाद। स्कूटी द्वारा अपने गांव से शाहबाद में कुछ जरूरी सामान लेने आई छात्रा का गिरा हुआ पर्स वापस मिल जाने पर उसकी आंखों में खुशी के आंसू छा गए। आपको बता दे कि शाहबाद क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली छात्रा राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में कक्षा 11 की छात्रा है। वह शाम के समय अपने 8 वर्षीय भाई को साथ लेकर स्कूटी द्वारा शाहबाद में कुछ आवश्यक सामान लेने आई थी। गले में उसने अपना पर्स भी टांग रखा था जिसमें दो हजार रुपए और मोबाइल भी रखा था। शाहबाद में आने के पश्चात जब उसने देखा तो गले में लटका पर्स गायब था, जिसे देखकर उसके होश उड़ गए और वह रुआंसा हो गई। बहन की आंखों में आंसू देखकर उसके छोटे भाई की आंखों में भी आंसू आने लगे। परिजनों की डांट से डरते हुए और सहमते हुए वह स्कूटी से उसी रास्ते से वापस हुई जिस रास्ते से वह आई थी। उसे यही उम्मीद थी कि शायद रास्ते में पर्स कहीं गिर गया होगा और वह उसे मिल जाएगा। परंतु घर तक पहुंचने पर उसे पर्स नहीं मिला। छात्रा ने यह बात डरते हुए अपनी मां को बताई। मां भी जानती थी कि यदि यह बात छात्रा के पिता को पता चलेगी तब वह गुस्से में आकर उस पर अधिक सख्ती कर देंगे और अधिक पाबंदी भी लगा देंगे। इसलिए पिता को न बताते हुए मां ने दूसरे फोन से छात्रा के नंबर पर फोन मिलाया। फोन भी एक नन्ही बालिका ने उठाया जो अपनी दादी के साथ मार्ग किनारे के अपने खेत में बैठी हुई थी। बालिका ने हेलो हेलो करके फोन अपनी दादी को दिया, बूढ़ी दादी ने फोन पर पूरी बात बताई कि हमारी पोती को यह पर्स सड़क पर पड़ा हुआ मिला है और उसने अपने स्थान का पता भी बताया । छात्रा तुरंत अपनी मां के साथ स्कूटी से उस स्थान पर पहुंची और अपना पर्स, मोबाइल और पूरे दो हजार रुपए पाते ही एक बार फिर उसकी आंखों में आंसू आ गए। इस बार यह आंसू डर या घबराहट के नहीं थे यह आंसू खुशी के आंसू थे। 75 साल की दादी ने अपनी पोती को ईमानदारी की शिक्षा दी और स्वयं फोन रिसीव करके अपना पता बताकर छात्रा का मोबाइल, रुपए और पर्स वापस किया। नाम, फोटो व गांव का नाम न छापने की मां बेटी द्वारा प्रार्थना करने पर अधिक जानकारी प्राप्त नहीं की गई। वहीं दादी ने भी मानवीयता का प्रचार न करने की बात कहते हुए अपना फोटो खिंचवाने से मना कर दिया।
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