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योगी सरकार पर भड़की जमात-ए-इस्लामी हिंद! I Love Mohammad लिखना अपराध बना दिया गया


जमात-ए-इस्लामी हिंद ने मंगलवार (07 अक्टूबर) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए. संगठन ने कहा कि राज्य में अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला किया जा रहा है और “I Love Mohammad” जैसे शांतिपूर्ण स्लोगन को भी अपराध की तरह देखा जा रहा है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में संगठन के प्रतिनिधियों ने कहा, “कोई व्यक्ति अगर अपने घर पर ‘I Love Mohammad’ लिखता है तो उसे पुलिस अपराध मान रही है. यह स्थिति बेहद चिंताजनक है. कम उम्र के बच्चों तक को गिरफ्तार किया जा रहा है और उन पर Unlawful Assembly जैसे गंभीर चार्ज लगाए जा रहे हैं.”

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने आरोप लगाया कि यूपी सरकार ने बुलडोज़र को “खौफ का प्रतीक” बना दिया है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी अनदेखी की जा रही है. संगठन ने कहा कि राज्य में केवल मुसलमान ही नहीं, बल्कि दलितों और महिलाओं के साथ भी अत्याचार बढ़े हैं.

संगठन ने कहा, “ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने मोहब्बत के संदेश को अपराध बना दिया. ‘I Love Mohammad’ नफरत नहीं, प्यार का संदेश है.

संगठन के प्रवक्ताओं ने कहा, जमात ने आरोप लगाया कि यह सब आगामी चुनावों को देखते हुए सियासी फायदे के लिए किया जा रहा है. “यूपी का यह मॉडल पूरे देश के लिए एक चेतावनी है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में संगठन ने बिहार की Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया पर भी गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि कई इलाकों में BLO (Booth Level Officer) पहुंचे ही नहीं और 2% से कम लोगों को साइन किया हुआ फॉर्म मिला.

जमात ने कहा, “SIR के नाम पर राजनीतिक जनसांख्यिकी (Political Demography) को बदला जा रहा है, खास तौर पर मुस्लिम इलाकों में. करीब 33% मुस्लिम वोट काटे गए हैं, जबकि आबादी में उनका हिस्सा केवल 16% है. यह प्रक्रिया पूरी तरह अपारदर्शी है.

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कहा है कि यूपी का मॉडल देश के लिए चेतावनी है. संगठन ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में मुसलमानों, दलितों और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं और प्रशासन उन्हें डराने के लिए बुलडोजर और अन्य उपायों का इस्तेमाल कर रहा है.

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कहा कि यह SIR असल में SIR नहीं है, बल्कि इसे राजनीतिक जनसांख्यिकी बदलने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, खासकर मुस्लिम इलाकों में. उन्होंने आरोप लगाया कि करीब 33% मुस्लिम वोट कटे हैं, जबकि कुल आबादी में उनका हिस्सा केवल 16% है.

संगठन ने बरेली की हालिया घटना का भी जिक्र किया. उनका कहना है कि दंगा आम तौर पर दो समुदायों के बीच होता है, लेकिन आरोप केवल मुसलमानों पर लगाए गए.

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