आदिवासी बाहुल्य जनपद सोनभद्र में छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए कैमूर आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना का रास्ता हुआ प्रशस्त ।आर के शर्मा
सोनभद्र। जनपद सोनभद्र में लंबे अर्से से भाकपा और सहयोगी जन संगठनों द्वारा कैमूर आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना कराएं जाने की मांग को संज्ञान में लेकर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल महोदया ने प्रमुख सचिव , उच्च शिक्षा विभाग (उ.प्र.) को किया निर्देशित। यह बातें पीडब्ल्यूडी डाक बंगला में एक प्रेस कांफ्रेंस के संबोधित करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट उ.प्र. के राज्य कार्यकारिणी सदस्य व सोनभद्र के जिला सचिव कामरेड आर के शर्मा ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कही। उन्होंने कहा कि "बिन हवा न पत्ता हिलता है
बिन लड़ें न हिस्सा मिलता है"
कोई भी आंदोलन आम जनता से जुड़ा हो और सामयिक हो तो वह कभी न कभी जरुर सफल होता है। ऐसा ही सवाल विंध्य पर्वत मालाओं के कैमूर पहाड़ी से घिरे जनपद सोनभद्र में जहां के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अन्य राज्यों व बड़े शहरों में जाना पड़ता है, और यहां का गरीब, आदिवासी व मध्यमवर्गीय परिवार अपने बच्चों को धनाभाव के चलते उच्च शिक्षा के लिए शहरों के लिए नहीं भेज सकता, इसी सवाल को लेकर सन् 1999 में अखिल भारतीय नौजवान सभा द्वारा विधानसभा मार्च के कार्यक्रम में प्रमुखता से उठाया गया था। खेत मजदूर यूनियन व अन्य सहयोगी जन-संगठनों ने उठाया और हर धरना प्रदर्शन के माध्यम से राष्ट्रपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने का काम किया, इस मांग को लेकर लोकतांत्रिक तरीके से लड़ाई आज भी जारी है। कामरेड आर के शर्मा ने यह भी बताया कि सन् 2005 में वह नौजवान सभा के जिला सचिव चुने गए थे, उसके बाद वह उत्तर प्रदेश खेत मजदूर के जिला सचिव चुने और अब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव और भाकपा उ.प्र. के राज्य कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं, तब भी उन्होंने सोनभद्र में कैमूर आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना कराने की मांग को हमेशा प्रमुखता से उठाया। इस मांग को जनपद के मीडिया साथियों ने भी अपने खबरों में प्रमुखता से प्रकाशित किया है, जिसके लिए हम आभार व्यक्त करते हैं प्रेस कांफ्रेंस के दौरान देव कुमार विश्वकर्मा, चंदन प्रसाद, अमर नाथ सूर्य, राम जनम कुशवाहा, नागेन्द्र कुमार, सूरज वंशल आदि मौजूद रहे
