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बाराबंकीः देश की सेहत संभालने वाली आशाएं खुद असुरक्षित! प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर गरजीं आशा संगिनी कर्मी बोलीं हक नहीं मिला तो सड़कों पर उतरेंगे


बाराबंकी। देश के स्वास्थ्य तंत्र की रीढ़ हैं आशा बहनें, लेकिन खुद असुरक्षित और उपेक्षित हैं ।इसी नाराजगी के साथ मंगलवार को भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध आशाध्आशा संगिनी कर्मचारी संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा। ज्ञापन में आशा कर्मियों ने अपने वेतन, सामाजिक सुरक्षा और सम्मानजनक दर्जे की मांग को लेकर सरकार पर दोहरे रवैये का आरोप लगाया।संगठन का कहना है कि 10 लाख से अधिक आशा वर्कर्स देशभर में गर्भवती महिलाओं की देखभाल से लेकर टीकाकरण और स्वच्छता अभियान तक में दिन-रात जुटी रहती हैं, लेकिन वर्षों से उन्हें मजदूरी के नाम पर मात्र प्रोत्साहन राशि देकर नजरअंदाज किया जा रहा है। आशा बहनों की मेहनत से ही मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आई, फिर भी उन्हें सुरक्षा, वेतन और सम्मान से वंचित रखा गया है।संगठन ने प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि 2018 में घोषित इन्सेन्टिव वृद्धि अब तक लागू नहीं हुई, जिससे कार्यकर्ताओं में गहरा आक्रोश है। ज्ञापन में मांग की गई है कि आशा कर्मियों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए , मासिक वेतन और आशा संगिनी को 24,000 रूपये मासिक वेतन मिले। जब तक यह लागू नहीं होता, मौजूदा प्रोत्साहन राशि को दोगुना किया जाए।इन्ही तमाम मांगों को लेकर संगठन ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानीं, तो आशा बहनें अब खामोश नहीं रहेंगी। यह आवाज अब विधानसभा और संसद तक जाएगी।इस मौके पर जिलाध्यक्ष शीला देवी, महामंत्री शशि बाला समेत सैकड़ों आशा वर्कर्स मौजूद रहीं जिन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपने अधिकारों की लड़ाई को तेज करने का संकल्प लिया।

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