Type Here to Get Search Results !
BREAKING NEWS

जूता फेंकने की कोशिश की घटना पर सीजेआई गवई की मां और बहन को आया गुस्सा, बोलीं- किसी को भी कानून हाथ में लेकर अराजकता फैलाने का अधिकार नहीं


जूता फेंकने की कोशिश की घटना पर मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) की मां कमलताई गवई और बहन कीर्ति अर्जुन गवई ने कड़ा विरोध जताया है. कमलताई गवई ने कहा कि किसी को भी कानून हाथ में लेकर अराजकता फैलाने का अधिकार नहीं है.

कमलताई गवई ने कहा, 'डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दिया गया संविधान आप जिएं और दूसरों को भी जीने दें के सिद्धांत पर आधारित है. किसी को भी कानून हाथ में लेकर अराजकता फैलाने का अधिकार नहीं है. सभी को अपने मुद्दे शांति और संवैधानिक मार्ग से ही सुलझाने चाहिए.'

सीजेआई बी आर गवई की बहन कीर्ति गवई ने भी घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, 'कल की घटना देश पर कलंक लगाने वाली और निंदनीय है. यह केवल व्यक्तिगत हमला नहीं, बल्कि एक जहरीली विचारधारा है, जिसे रोकना ही होगा. असंवैधानिक आचरण करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए. हमें संविधान के स्तर पर और शांतिपूर्ण तरीके से ही विरोध दर्ज करना चाहिए ताकि बाबासाहेब के विचारों को कोई आंच न आए.'

6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में राकेश किशोर नाम का एक वकील अचानक सीजेआई बी आर गवई की बेंच की ओर बढ़ा और जूता फेंकने की कोशिश की. मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उसको काबू में लिया और उसे कोर्ट से बाहर ले गए. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बाहर जाते समय वह नारा लगा रहा था- सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान. हालांकि, सीजेआई बी आर गवई इस पूरे घटनाक्रम के दौरान एकदम शांत रहे और उन्होंने वकीलों से भी कहा कि इससे विचलित न हों. उन्होंने कहा कि उन पर ऐसी बातों का कोई असर नहीं पड़ता है.

राकेश किशोर को कुछ समय के लिए हिरासत में रखा गया और फिर छोड़ दिया गया. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने राकेश किशोर का लाइसेंस रद्द कर दिया है. अब वह किसी कोर्ट, ट्रिब्यूनल या अधिकरण में वकालत और पैरवी नहीं कर सकते. राकेश किशोर ने ऐसा करने की वजह भी बताई है. न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए उन्होंने इस घटना को ईश्वरीय कृत्य बताया. उन्होंने कहा कि यह सबकुछ मेरे द्वारा नहीं किया गया, बल्कि परमात्मा ने मुझसे कराया. मेरा ऐसा करने का बिल्कुल भी मन नहीं था.

उन्होंने कहा कि मेरी इस हरकत के पीछे एक संदेश छुपा था, जो मैं वहां तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा था. सीजेआई गवई ने 16 सितंबर को एक पीआईएल की सुनवाई की थी. मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है कि आखिर किसने पीआईएल दाखिल की थी. आखिर कौन वकील था?

वकील राकेश किशोर ने दावा किया कि सुनवाई के दौरान सीजेआई ने सनातन धर्म का अपमान किया था. खुजराहो में सात फीट की भगवान विष्णु की एक मूर्ति है. इस मूर्ति का सिर धड़ से अलग है. जब विदेशी आक्रांता भारत आए थे, तो उन्होंने कई हिंदू मंदिरों पर हमला किया था. इनमें यह मंदिर भी शामिल था. हमले में भगवान विष्णु की मूर्ति क्षतिग्रस्त हो गई थी. मैं खुद उस मूर्ति के पास जाकर रो चुका हूं. मुझे इस बात का दुख है कि इतनी सुंदर मूर्ति का सिर गायब है. यह हम सभी लोगों के लिए दुख का विषय है.

राकेश किशोर ने कहा कि इस मूर्ति को ठीक करने की मांग जब सीजेआई के सामने उठाई गई तो उन्होंने कहा कि 'तुम तो इतने बड़े भगवान के भक्त हो. तुम ही जाकर मूर्ति से कहो कि 'वो ही कुछ कर लें, अपने आपको ठीक कर लें.' मुझे ये टिप्पणी ठीक नहीं लगी. इससे भी ज्यादा दुख मुझे इस बात का हुआ कि सीजेआई ने याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी.

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Design by - Blogger Templates |