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प्रतापगढः सावधानी और तैयारी से ही वज्रपात के खतरे को कम या उसके प्रभाव से बचा जा सकता है-एडीएम


प्रतापगढ़। जिले में सोमवार को अपर जिलाधिकारी (वि0ध्रा0) आदित्य प्रजापति ने जनपद में बिजली चमकने, तेज हवाओ, ओलावृष्टि, मेघ गर्जन, वज्रपात, भारी वर्षा के साथ आंधी-तूफान के कारण बिजली से बचाव हेतु एडवाइजरी जारी करते हुये बताया है कि घर के अंदर रहें, खिड़कियां और दरवाजे बंद करें और यदि संभव हो तो यात्रा से बचे, सुरक्षित आश्रय लें, पेड़ों के नीचे आश्रय न ले, ऐसी स्थिति में समस्त स्कूलध्विद्यालय खुले में किसी भी प्रकार के आउटडोर कार्यक्रम कराये जाने से बचे। कंक्रीट के फर्श पर न लेटे और कंक्रीट की दीवारों के सामने न झुके। विद्युतध्इलेक्ट्रानिक उपकरणों को अनप्लग करें। तुरन्त जल स्रोतो से बाहर निकले, मौसमी नदी-नालों आदि से दूर रहें। उन सभी वस्तुओं से दूर रहे जो बिजली का संचालन करती है। उन्होने बताया कि नवीनतम मौसम अलर्ट की सूचना हेतु मौसम एप, मेघदूत ऐप व दामिनी एप को मोबाइल में डाउनलोड कर लें जिससे होने वाली घटनाओं की जानकारी मिल सके। तालाब और जलाशयों से भी दूरी बनाये रखें। समूह में न खड़े हो, बल्कि अलग-अलग खड़े रहे। यदि आप जंगल में हो तो बोने एवं घने पेड़ों के शरण में चले जाये। बाहर रहने पर धातु से बनी वस्तुओं का उपयोग न करें। बाइक, बिजली या टेलीफोन का खम्भा, तार की बाड़, मशीन आदि से दूर रहे। धातु से बने कृषि यंत्र डंडा आदि से अपने को दूर कर दें। आसमानी बिजली के झटके से घायल होने पर पीड़ित व्यक्ति को तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र ले जाने की व्यवस्था की जानी चाहिये। स्थानीय रेडियो अन्य संचार साधनों से मौसम की जानकारी प्राप्त करते रहे। उन्होने बताया है कि यदि आप खेत खलिहान में काम कर रहे हो और किसी सुरक्षित स्थान की शरण न ले पाये हो तो जहां है हो सके तो पैरों के नीचे सूखी चीजें से जैसे-लकड़ी, प्लास्टिक, बोरा या सूखे पत्ते रख लें, दोनो पैरों को आपस में सटा लें एवं दोनो हाथों से कानों को बंद कर अपने सिर को जमीन की तरफ यथा सम्भव शरीर को झुका लें तथा सिर को जमीन से न सटाये। जमीन पर कदापि न लेटे, ऊंचे इमारत वाले क्षेत्रों में शरण नही लें, साथ ही बिजली एवं टेलीफोन के खम्भों के नीचे कदापि शरण नहीं ले, क्योंकि ऊॅचे वृक्ष, ऊंची इमारते एवं टेलीफोनध्बिजली के खम्भे आसमानी बिजली को अपनी ओर आकर्षित करते है। पैदल जा रहे हो तो धातु की डंडी वाले छातों का उपयोग न करें, यदि घर में हो तो पानी का नल, फ्रिज, टेलीफोन आदि को न छुये। वज्रपात के मामले में मृत्यु का तत्कालिक कारण हृदयाघात है। अगर जरूरी हो तो संजीवन क्रिया, प्राथमिक चिकित्सा प्रारम्भ कर दें। संजीवन क्रिया, प्राथमिक चिकित्सा देने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि प्रभावित व्यक्ति के शरीर से विद्युत का प्रभाव न हो रहा हो। यह सुनिश्चित कर लें कि पीड़ित की नाड़ी एवं श्वास चल रही हो। उन्होने बताया है कि वज्रपात के बाद घर के अंदर तब तक रहें जब तक कि आसमान साफ न हो जाये। स्थानीय प्रशासन को क्षति और मृत्यु की जानकारी दें। अगर कोई व्यक्ति वज्रपात की चपेट में आ गया है तो तुरन्त 112 पर कॉल करें और यथाशीघ्र पीड़ित को अस्पताल ले जाये।

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