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बलियाः डा.रिंकी पाठक द्वारा लिखित पुस्तक हिन्दी साहित्य एवं विविध विमर्श का लोकार्पण


बलिया। लखनऊ के बलराम गार्डन में चल रहे 22वें पुस्तक मेले में बलिया की बेटी डा.रिंकी पाठक द्वारा लिखित पुस्तक हिन्दी साहित्य एवं विविध विमर्श का लोकार्पण हुआ। नवोदित लेखिका और प्रख्यात समीक्षक डॉक्टर रिंकी पाठक ने पुस्तक के लेखन में कौन सी बातें मूल में रहीं और पुस्तक में किन विमर्शों पर बात की गई है। उस पर उन्होंने अपना सारगर्भित वक्तव्य दिया। कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य अतिथियों और उपस्थित जनसमूह ने प्रखर आलोचनात्मक प्रतिभा की धनी लेखिका के भाव गाम्भिर्य और शानदार उद्बोधन के साथ ही इस विशिष्ट कृति के प्रणयन के लिए उनके प्रयास को सराहा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यायाधीश अशोक चैधरी ने कहा कि रिंकी का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। बीज वक्तव्य तथा स्वागत करते हुए विख्यात दार्शनिक डॉक्टर विद्यासागर उपाध्याय ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पूर्वी और अंतिम छोर पर विद्यमान बलिया जनपद अनादि काल से साहित्यिक क्षेत्र की उर्वर भूमि रहा है। भृगु संहिता के रचना से लेखक आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी , केदारनाथ सिंह, अमरकांत इत्यादि अनेक मूर्धन्य साहित्यकारों की परंपरा को आगे बढ़ाने का कार्य डॉक्टर रिंकी पाठक ने किया है। आज गोमती नदी के किनारे आयोजित इस साहित्यिक सभा में पधारें समस्त विद्वत जन का गंगादृसरयूदृतमसा के संगम बलिया से हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और वर्तमान में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के कला संकाय के डीन प्रोफेसर पुनीत बिसारिया ने कहा कि डॉक्टर रिंकी पाठक हिन्दी साहित्य में आलोचना के क्षेत्र में एक उज्जवल नक्षत्र हैं। जिसका साक्षात् प्रमाण यह पुस्तक हिन्दी साहित्य एवं विविध विमर्श आपके हाथों में है। डॉक्टर रिंकी पाठक की सोशल मीडिया पर धारदार टिप्पणियों को देखकर मैंने उन्हें समीक्षा लिखने का सुझाव दिया , जिसे मानते हुए उन्होंने समीक्षा का एक ग्रन्थ लिखा।

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