डॉक्टर पर ग्रामीणों ने लापरवाही का आरोप लगाए,ग्रामीणों को संभालने की बजाय एसओ बभनी पर ही गंभीर आरोप लग गए।
सोनभद्र/बभनी। संयुक्त अस्पताल परिसर में उस समय हड़कंप मच गया, जब चार महीने की प्रेग्नेंट महिला की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि महिला की तबीयत बिगड़ने पर जब उसे अस्पताल लाया गया तो ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाया। लेकिन इंजेक्शन लगने के तुरंत बाद ही महिला की हालत और खराब हो गई और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई। महिला की मौत की खबर फैलते ही अस्पताल परिसर में भारी संख्या में ग्रामीण जुट गए। गुस्साए ग्रामीणों ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टर पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। हालात बिगड़ते देख मौके पर पुलिस भी पहुंची, लेकिन यहां तस्वीर और भी चौंकाने वाली सामने आई। ग्रामीणों को संभालने की बजाय एसओ बभनी पर ही गंभीर आरोप लग गए। कहा जा रहा है कि एसओ ने मौके पर मौजूद ग्रामीणों से न सिर्फ गाली-गलौज की बल्कि अशोभनीय शब्दों का भी इस्तेमाल किया।एसओ के इस कथित व्यवहार से गुस्सा और भड़क उठा। इतना ही नहीं, एसओ का यह कथित वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें उनके द्वारा अपशब्द कहे जाने की बात सामने आ रही है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर जिस पुलिस से आम जनता को भरोसा और सहारा मिलने की उम्मीद होती है, वही पुलिस के अफसर इस तरह का अमानवीय रवैया क्यों अपनाते हैं एसओ बभनी पर लगे आरोप इसीलिए गंभीर माने जा रहे हैं, क्योंकि पूरा मामला एक गर्भवती महिला की मौत से जुड़ा हुआ है। परिजनों का दर्द गहराया हुआ था और ग्रामीणों में पहले से आक्रोश था। ऐसे में एसओ द्वारा कथित रूप से अपशब्द कहना न केवल कानून-व्यवस्था की गरिमा को ठेस पहुँचाता है, बल्कि हालात को और बिगाड़ने वाला भी साबित हो सकता था। किंतु एक बात बिल्कुल साफ है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अधिकारियों और कर्मचारियों को जनता के साथ शालीन व्यवहार रखने की हिदायत देते रहे हैं। सीएम ने कई मौकों पर सख्ती से कहा है कि संवेदनशील मामलों में जनता के साथ बदसलूकी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लेकिन एसओ बभनी पर लगे ये आरोप और वायरल वीडियो कहीं न कहीं उन्हीं गाइडलाइन्स की धज्जियाँ उड़ाते हुए नज़र आते हैं। हालांकि यह भी सच है कि पूरे जिले की पुलिस व्यवस्था को एक ही रंग में नहीं देखा जा सकता। हाल के दिनों में सोनभद्र के कुछ थानों से पुलिस का मानवीय और सहयोगी चेहरा भी सामने आया है। लेकिन अगर इस वायरल वीडियो को सच माना जाए तो यह सीधे तौर पर न सिर्फ सीएम योगी के आदेशों की अवहेलना है बल्कि पुलिस की छवि पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। फिलहाल जी विधान केसरी इस वायरल वीडियो की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता हैं। लेकिन मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी सोनभद्र अशोक कुमार मीणा ने जांच कराने की बात कही है। अब देखना यह है कि जांच के बाद एसओ के इस कथित अमानवीय रवैये पर पुलिस महकमा क्या कार्रवाई करता है और क्या वाकई सीएम योगी आदित्यनाथ की गाइडलाइन्स का पालन जमीनी स्तर पर हो पा रहा है या नहीं। घटना को लेकर परिजन द्वारा बताया गया कि हम अस्पताल में लेकर गए थे जहां डॉक्टरों द्वारा बताए गए निर्देशानुसार जांच कराए और दवा लेकर आए। वहीं इस दौरान डॉक्टरों द्वारा कहा गया कि सब कुछ सामान्य है किंतु रात में अचानक दर्द उठा और इंजेक्शन लगाया गया इसके कुछ ही देर बाद प्रसूता की मौत हो गई।
