- दिन हो या रात सुबह हो या शाम जो हंसता मिलें उसी को कहते है डिप्टी सीएम
लखनऊ । आज के जमाने में लोग भले ही वर्तमान सरकार को हठधर्मी सामंतवादी नकारा और न जाने किन शब्दों से नकारते रहे लेकिन अकेले डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी व्यवहार कुशलता हंसमुख व्यक्तित्व की तरफ भेदभाव रहित व्यवहार देखें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि कई दलों के सहयोग से चल रही उत्तर प्रदेश सरकार को तालमेल के साथ चलाने का श्रेय उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को जाता है जो न सिर्फ सहयोगी दलों को जोड़े रखनें में सेतू का काम करते हैं बल्कि कई बार सत्ता को भी समस्याओं से पार करने में केवट की भूमिका निभाते नजर आते हैं।
सहयोगी दलों में सेतू बनने वाले को भी कहा जाता है केशव
कोई यूं ही नहीं केशव बन जाता चुनाव हारने के बाद भी लगातार उपमुख्यमंत्री बनाकर पिछड़ा प्रिय होने का खिताब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया जा सकता है। यही कारण है कि जब जब उत्तर की भाजपा या सत्ता के सहयोगी परिजनों में टकराव की स्थिति उत्पन्न होती है केशव प्रसाद मौर्य का हंसता हुआ चेहरा देख धराशाई हो जाती है।मामला उनके सरकारी कार्यकाल का ही नहीं उससे भी पहले का है जब वह 2014 की लोक सभा में पहुंचे जहां उन्होंने सभी सांसदों में खुद की व्यवहारिकता के नाम पर पहचान बनाई बल्कि उत्तर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष रहकर उन्होंने खुद तो बमपर वोटों से चुनाव जीता ही उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक वोट रखने वाले ओबीसी वोट को भी हंसमुख व्यक्तित्व के बल पर भाजपा की ओर ऐसा मोड़ा की सपा मुखिया पांच साल अच्छी खासी विकास वाली सरकार चलाकर भी हाथ मलते रह गए
सभी तिरस्कार झेलकर हंसते रहने वाले को माना जाता है केशव
हमेशा उत्तर में जीत का श्रेय भले ही मनुवादी मीडिया और सामाजिक व्यवस्था या भाजपा ने सही तरह से केशव प्रसाद मौर्य को न दिया हो लेकिन ओबीसी का बड़ा तबका उन्हें सत्ता में नहीं समाज के नाम पर प्यार करता है तभी तो कोई उन्हें तमाम रूकावट आने के बावजूद नकारकर भी नहीं नकार सका लेकिन उत्तर प्रदेश के ही नहीं देश भर के कई राज्यों के ओबीसी को जोरदार धक्का उस समय लगा जब भाजपा ने महंत योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया क्योंकि ओबीसी को योगी आदित्यनाथ की निष्ठा या योग्यता पर संदेह नहीं था वो तो अपने भरोसे को कायम रखना चाहते थे।
उनके हटते ही कौन सा हुआ पीडब्ल्यूडी विभाग
खैर फिर भी भाजपा द्वारा उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री न बनाकर उपमुख्यमंत्री के साथ साथ लोकनिर्माण विभाग सहित कई बड़े विभागों की जिम्मेदारी देनी पड़ी और जो इतिहास उन्होंने पांच साल पीडब्ल्यूडी मंत्री रहकर सड़कों पुलों में बना दिया शायद कोई पीडब्ल्यूडी मंत्री उनसे लम्बी लकीर खींच सकें यही कारण रहा कि केशव मौर्य ने न सिर्फ भाजपाइयों को बल्कि अन्य विरोधी दलों को भी यह कहने को मजबूर कर दिया की सरकार में तो न जाने कितने रहते आए हैं और ना ही सत्ता किसी स्थाई बपौती रही है लेकिन सरकार में रहते केशव के बंगले में रहने वाले पूर्व मंत्रीयो की तुलना करें तो कोई मौर्य जैसा कार्यकाल नजर नहीं आता इसलिए आज कही जगह कहां जा सकता है कि कौन सा पीडब्ल्यूडी विभाग वहीं जिसमें विधायक सांसद मंत्री प्रमुख प्रधान तक क्षेत्र की सड़कें बनाकर गर्व करते थे।
हारकर भी जीतने वाले को कहते है केशवखैर उनके भाजपा प्रेम और मोदी मिशन की हद तो तब हो जब उन्होंने खुद के उपमुख्यमंत्री रहते 2022 का चुनाव लड़ा लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार बनाने और मोदी भक्ति इतने लीन हो गए कि सभी प्रत्याशियों को चुनाव जिताकर दो तिहाई बहुमत की सरकार बनाने में अपने क्षेत्र में समय नहीं दे सके और चुनाव हार गए यानि सभी को जिताने के चक्कर में वह अपनी सीट एक नई प्रत्याशी के सामने हरा बैठे, मुझे तो यह दावा करने में कोई दिक्कत नहीं है कि यदि उन्होंने अपने चुनाव में समय दिया होता तो आज छुटभैय्ए नेता पीठ पीछे जो अपनी सीट न जीत पाने का आरोप लगाते हैं बिल में छिपे नजर आते खास बात यह है कि सोमवार मंगलवार को उनके द्वारा किया जाने वाला जनता दर्शन महज सरकारी औपचारिकता नहीं होता बल्कि प्रदेश भर से आए शिकायतकर्ताओं को अपने पन का अहसास भी कराता है खैर किसी का काम हो न हो लेकिन उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के व्यवहार से विधायकों सांसदों भाजपाइयों का ही नहीं चोरी छिपे अन्य दलों के लोगों का लगाव भी सिर चढ़कर बोलता है एक निष्पक्ष पत्रकार होने के नाते इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सरकारें आती जाती रहती है और मंत्री उपमुख्यमंत्री भी बनते रहेंगे लेकिन भविष्य में यह पद संभालने का सपना देखने वालों को भी एक बार डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलना चाहिए जों उसके हित में हो न हो उत्तर प्रदेश की जनता के हित में जरूर होगा। मैं तो उन्हें सिर्फ इतना ही कह सकता हूं वह उत्तर प्रदेश की भाजपा में ऐसे एकल नेता हैं जिनकी खूबी को मोदी जी अच्छी तरह जानते हैं और यह गरीब घर का बेटा उनकी बदौलत हारकर भी जीत जाता है।
विधान केसरी प्रस्तुति
राहुल ठाकुर
Reported by: Senior Journalist



